भारत में पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के प्रोस्टेट कैंसर के 3 प्रतिशत मामले भारत से आते हैं। 2020 में भारत में पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के 40 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। प्रोस्टेट, पुरुषों के प्रजनन तंत्र और मूत्राशय के नीचे वाले हिस्से को कहा जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्रोस्टेट मुख्य रूप से अखरोट की तरह नजर आता है और उम्र के साथ इसका साइज बढ़ने लगता है। अगर यह सामान्य रूप से ज्यादा बढ़ने लगता है तो यह कैंसर हो सकता है। पिछले कुछ सालों में जिस तरह से भारत में प्रोस्टेट कैंसर का आंकड़ा बढ़ रहा है, उसको मद्देनजर रखते हुए इसके प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं प्रोस्टेट कैंसर क्या है और प्रोस्टेट कैंसर के कितने चरण होते हैं, इसके बारे में। इस विषय पर ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए ओनलीमायहेल्थ की टीम ने एचसीजी सुचिरायु अस्पताल के यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ भुवनेश एन आराध्या से बात की।
ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा
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प्रोस्टेट कैंसर क्या है?
डॉक्टर के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों के प्रोस्टेट में होने वाले असामान्य ट्यूमर को कहा जाता है। प्रोस्टेट पुरुषों में अखरोट के आकार की एक छोटी ग्रंथि होती है जो वीर्य का उत्पादन कर शुक्राणुओं का प्रवाह करती है। प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले सबसे आम कैंसरों में से एक है। यह कैंसर उम्र के साथ बढ़ता है और शुरुआत में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। डॉ. आराध्या की मानें तो सामान्य तौर पर प्रोस्टेट कैंसर के 4 चरण होते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
प्रोस्टेट कैंसर के कितने चरण होते हैं?
डॉ. आराध्या बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर मुख्य रूप से 4 चरणों में बंटा हुआ है।
चरण 1: इस चरण में, कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित रहता है। प्रोस्टेट कैंसर के पहले चरण में इसे आम क्लीनिकल टेस्ट के जरिए भी पहचानना मुश्किल काम होता है। लेकिन इसे इमेजिंग सीटी स्कैन या एमआरआई में देखा जा सकता है। डॉक्टर के अनुसार, इस चरण में कैंसर ग्रंथि 5% से कम हिस्से को प्रभावित करती है। प्रोस्टेट कैंसर के पहले चरण में मुख्य रूप से मूत्र में खून नजर आना शामिल है।
चरण 2: इस चरण में, ट्यूमर प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित रहता है, लेकिन शारीरिक परीक्षण के दौरान इसे महसूस किया जा सकता है। इस चरण के लक्षण भी पहले चरण के समान ही होते हैं, जहां मूत्र से खून आना एक संकेत माना जाता है। डॉक्टर की मानें तो प्रोस्टेट कैंसर का दूसरा चरण प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) का स्तर 4 mg/dl की सामान्य सीमा से थोड़ा ज्यादा हो सकता है।
चरण 3: इस चरण में, ट्यूमर प्रोस्टेट के बाहर बढ़ता है और प्रोस्टेट ग्रंथि के बगल सूजन या एक विशेष प्रकार की गांठ नजर आ सकती है। इसमें मलाशय, मूत्राशय और मूत्रमार्ग स्फिंक्टर शामिल हैं। इन चरणों में अधिकांश रोगियों को उपचार की आवश्यकता होती है। डॉक्टर का कहना है कि प्रोस्टेट कैंसर का पता अगर पहले 2 चरणों में लग जाए, तो ट्यूमर को पूरी तरह से हटाया जा सकता है और व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है। वहीं, प्रोस्टेट कैंसर के तीसरे चरण में रोगियों को हार्मोनल ट्रीटमेंट जैसे मल्टीमॉडलिटी की जरूरत होती है। हार्मोनल ट्रीटमेंट के बाद मरीज की सर्जरी की जाती है।
चरण 4: प्रोस्टेट कैंसर के इस चरण में ट्यूमर शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि लीवर, हड्डियों, फेफड़ों और लिम्फ नोड्स में फैल चुका होता है। सामान्य कमजोरी, वजन कम होना और आसानी से थक जाना इस चरण में सामान्य लक्षण हैं। प्रोस्टेट कैंसर के चौथे चरण में सर्जरी के जरिए ट्यूमर को निकाला जाता है और इसे ठीक किया जा सकता है।
यूके की कैंसर रिसर्च एकेडमी के अनुसार, लगभग हर मरीज कैंसर के शुरुआती चरणों या चरण 1 या 2 का पता चलने के बाद इलाज और दवाओं के जरिए सामान्य जीवन जी सकता है। वहीं, हर 100 में से लगभग 95 पुरुष चरण 3 प्रोस्टेट का कैंसर का पता चलने के बाद 5 साल या उससे अधिक समय तक सामान्य जीवन जी सकता है। जबकि चरण 4 में का पता चलने का बाद केवल लगभग 50% ही अपने कैंसर को ठीक कर पाते हैं। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग बहुत ज्यादा जरूरी है।