दीगोद. क्षेत्र के कोटसुआ गांव में मोहर्रम पर्व के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा ताजियो का जुलूस निकाला गया । जहां परंपरागत तरीकों के साथ मातमी धुन के बीच ताजिए निकाले गए। जिन्हें बाद में चंबल नदी में ठंडा किया गया। मुस्लिम समुदाय के कादिर हुसैन ने बताया कि मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। रमजान के बाद इस्लाम में मोहर्रम का खास स्थान होता है। यौम-ए-आशूरा के 10वें दिन को मोहर्रम का जुलूस निकाल कर शहादत मनाते है। उन्होंने बताया कि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे। इसलिए इस दिन को शहादत के रूप में मनाते हैं।