राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. सोमवार को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने सभी सीटों के प्रभारियों को स्थानीय स्तर पर बैठक लेने और प्रत्याशियों के नामों पर रायशुमारी करने के निर्देश जारी कर दिए हैं, ताकि समय पर जिताऊ उम्मीदवार का चयन हो सके. यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब हाल ही में 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट सामने आया है, जिसमें I.N.D.I.A ने 10 और NDA को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली है. इन्हीं उपचुनाव के नतीजों के बाद से राजस्थान में भाजपा की टेंशन बढ़ी हुई है. इन नतीजों को आधार बनाते हुए कांग्रेस नेता भी प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने तो यह तक कह दिया कि 'इतिहास गवाह है, उपचुनावों में हमेशा कांग्रेस ने जीत हासिल की है. हम सभी पांच सीटों पर उपचुनाव जीतेंगे. हम पूरी ताकत से लड़ेंगे और हर सीट पर बेहतर उम्मीदवार उतारेंगे.' राजस्थान की जिन पांच सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू और चौरासी विधानसभा सीट शामिल हैं. इन पांचों सीटों पर चुने गए विधायक लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद बन गए हैं, इसीलिए नवंबर में यहां उपचुनाव होना संभावित है. 2023 के चुनाव में इन पांच सीटों में से तीन पर कांग्रेस, एक पर आरएलपी और एक पर बीएपी को जीत हासिल हुई थी. यानी इस उपचुनाव में भाजपा के पास खोने को कुछ भी नहीं है, और पाने पर 5 सीटें हैं. इसीलिए भाजपा नेता जीत का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं. इसी के चलते दो दिन पहले भाजपा कार्यसमिति की बैठक भी बुलाई गई थी, जिसमें प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता समेत मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी नजर आए थे. इस बैठक में वसुंधरा राजे की मौजूदगी ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था. ऐसा माना जाने लगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में इनएक्टिव रहीं राजे इस बार उपचुनाव में अपना योगदान दे सकती हैं, जिससे ना सिर्फ बीजेपी में चल रही अंदरूनी कलह खत्म होगी, बल्कि पार्टी का जनाधार भी मजबूत होगा. राजस्थान प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे ने भी बैठक में इस पर जोर दिया था कि एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने के बजााए निष्पक्ष तरीके से आत्मपरीक्षण कर चुनाव परिणामों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि उसमें सुधार हो सके.