भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार की शाम 5 बजे शुरू होगी लेकिन उसका साक्षी बनने के लिए जनसैलाब पुरी पहुंचने लगा है। भगवान जगन्नाथ मंदिर से लेकर गुडि़चा मंदिर तक तीन किलोमीटर में समुद्री लहरों की तरह लोगों का हुजूम नजर आ रहा है। शनिवार रात दो बजे से मंदिर के अंदर विधान शुरू हो चुके हैं। रविवार शाम 5 बजे भगवान जगन्नाथ के पहले भक्त पुरी के राजा गजपति महाराज पालकी में सवार होकर मंदिर आएंगे। वे सोने की झाड़ू से रथ के आगे-आगे सफाई करने की परंपरा निभाएंगे। इसे छेरा पहरा कहा जाता है। तीनों रथों के लिए अलग-अलग झाड़ू रहेगी। झाड़ू नारियल के पत्ते का बना होता है। झाडू को पकड़ने वाले स्थान पर सोने की रिंग लगी रहती है। इसलिए इसे सोने की झाडू भी कहा जाता है। सेवा की परंपरा के बाद झाड़ू और सोने की रिंग को भगवान जगन्नाथ के खजाने में रख दिया जाता है।हर 12 वर्ष में जब भगवान की प्रतिमा का विग्रह होता है और नई प्रतिमा बनती है, तब नई झाड़ू लेकर आते हैं। गजपति महाराज 10 मिनट तक भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ के आगे झाड़ू लगाएंगे और अपनी पालकी में वापस चले जाएंगे। इसके बाद रथ यात्रा शुरू हो जाएगी। तीन किलोमीटर दूर गुडि़चा मंदिर पहुंचने में एक दिन लग जाएगा।पुरी में मंदिर के आसपास और समुद्र किनारे के सारे होटल-लॉज भर चुके हैं। रथ यात्रा देखने आने वाले लाखों लोग शनिवार रात से मंदिर के आसपास सड़क और समुद्र किनारे डेरा डाले रहे। रविवार को रथ यात्रा मार्ग पर भक्तों के लिए एक हजार से अधिक जगह भंडारे की व्यवस्था होगी।