मां के मोबाइल छीनने से गुस्से में उठाया आत्मघाती कदम

मैं बाजार से सब्जी लेकर रात आठ बजे घर पहुंची तो सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले बेटी अर्चना ऊपर कमरे में मोबाइल में गेम खेल रही थी। मैंने तीन-चार बार जोर से आवाज लगाई, लेकिन वह मोबाइल चलाने में इतनी मशगूल थी कि कोई जवाब नहीं दिया। मैं ऊपर कमरे में गई और बेटी को डांटते हुए सिर्फ यह कहा था कि इतनी देर से गेम खेल रही है…..मंगलवार (2 जुलाई) को स्कूल जाना है, बैग जमा ले और कुछ पढ़ाई कर ले… और मोबाइल छीनकर मैं नीचे आ गई थी, इससे वह गुस्सा हो गई। मैं अपने काम में व्यस्त हो गई। बमुश्किल 20-25 मिनट बाद अर्चना को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। ऊपर कमरे में गई तो उसने दरवाजा बंद कर रखा था। खिड़की से देखा तो वह पंखे से झूलती नजर आई। इस पर खूब आवाज लगाई, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में मैं बुरी तरह घबरा गई और अर्चना के पिता को फोन किया। वह घर पहुंचे, दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इस दौरान पुलिस को भी फोन कर दिया। पुलिस के साथ अर्चना को लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अर्चना बैरवा की मां मंजू बैरवा इतनी सी बात पर बेटी के आत्महत्या करने से आहत है।

मोबाइल पर गेम खेलने पर टोकने की बात पर आत्महत्या कर लीशहर के अनंतपुरा तालाब बस्ती निवासी सातवीं कक्षा की छात्रा अर्चना बैरवा (14) ने 1 जुलाई सोमवार को मोबाइल पर गेम खेलने पर टोकने की बात पर आत्महत्या कर ली। अर्चना के पिता राधेश्याम बैरवा नल फिटिंग का काम करते हैं। परिजनों से पूछताछ में पुलिस को दो दिन बाद यह पता चला कि उसे मां ने मोबाइल चलाने से टोका था।

स्कूल जाने को उत्साहित थी
उसके चाचा सुखपाल बैरवा ने बताया कि वह पढ़ने होशियर थी। 1 जुलाई को ही महावीर नगर में प्राइवेट स्कूल में एडमिशन करवाया था, 2 को स्कूल जाना था। स्कूल जाने को लेकर वह उत्साहित थी। अर्चना के पास खुद का मोबाइल नहीं था। वह मां का मोबाइल ही चलाती थी। उन्होंने ऐसा भी नहीं था कि हमेशा मोबाइल ही चलाती थी, कुछ देर ही मोबाइल चलाती थी, लेकिन अचानक यह कदम उठा लिया।