कोटा | दुनिया से लुप्त हो रहे पक्षी गिद्ध का एक समूह मुकंदरा जंगल में जामुनिया बावड़ी के क्षेत्र नजर आया। यहां इन्हें पर्याप्त भोजन-पानी मिल जाता है। रिसर्च स्कॉलर हर्षित शर्मा ने बताया कि लंबी चोंच वाले करीब 40 गिद्ध थे। जैव विविधता से परिपूर्ण चंबल के आसपास गिद्धों की सात प्रजातियां हैं। इनमें 4 स्थानीय एवं 3 प्रवासी हैं। स्थानीय इसी क्षेत्र में घोंसले भी बनाते हैं। प्रवासी गिद्ध शीत ऋतु में आते हैं।

बिजली के तारों से टकराकर गंवा रहे जान वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. अंशु शर्मा के अनुसार भारत में गिद्ध की यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं। खेतों में कीटनाशकों के उपयोग, भारी धातुओं की उपस्थिति और बिजली के तारों से टकराने के कारण मृत्यु गिद्ध कम होने के प्रमुख कारण है।