जम्मू। प्रदेश में विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे 61 हजार अस्थायी कर्मचारियों का जीवन नियमित होने की आस में ही बीता जा रहा है। मार्च 2025 से पहले 55 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। कर्मचारियों ने नौकरी की शुरुआत 18 रुपये दिहाड़ी से की थी। अब 58 वर्ष आयु पूरे होने के बाद इन्हें 311 रुपये दिहाड़ी मिल रही है। ताउम्र काम करने के बाद भी यह कर्मचारी स्थायी नहीं हो पाए। समय-समय पर सरकारी फरमान आते रहे, मगर इन कर्मचारियों की आस पूरी नहीं हुई।
यूटी बनने के बाद इन्हें उम्मीद थी कि इनकी दिहाड़ी 500 रुपये हो जाएगी। सरकार ने मानदेय बढ़ाने पर फैसला नहीं लिया। इसका खामियाजा अब तक अस्थायी कर्मचारी भुगत रहे हैं। कर्मचारी न तो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला पाए और न ही उनकी शादियां धूमधाम से कर पाए। परिवारों को बड़ी मुश्किल से दो वक्त का भोजन ही मिला। अलग-अलग विभागों में सेवाएं देने के बावजूद कर्मचारियों को जमीन बेचकर बच्चों की शादियां करनी पड़ीं। अब हालात यह हैं कि यह कर्मचारी 32 से 35 साल तक सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं मगर उन्हें सरकार की ओर से कोई भी पैसा नहीं मिलेगा। कर्मचारियों को सिर्फ नौकरी के अंतिम माह का मानदेय ही जारी होगा।