हर साल जून के तीसरे गुरुवार को किडनी कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए World Kidney Cancer Day मनाया जाता है। इस बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाने से जान बचाने में काफी मदद मिल सकती है। आइए डॉक्टर्स से जानते हैं किडनी कैंसर के लक्षण (Kidney Cancer Symptoms) और किन वजहों से बढ़ सकता है इसका खतरा।

किडनी कैंसर (Kidney Cancer) या रीनल कैंसर, किडनी में होने वाली गंभीर बीमारी है। इसमें किडनी के सेल्स में असमान्य गति से बढ़ने लगते हैं और ट्यूमर का रूप ले लेते हैं और इलाज न होने पर यह शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है। इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक बनाने और किडनी की सेहत का ख्याल रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर साल जून के तीसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी कैंसर डे (World Kidney Cancer Day) मनाया जाता है, जो इस साल 20 जून को मनाया जा रहा है। इसी मौके पर हमने कुछ एक्सपर्ट्स से यह जानने की कोशिश की, कि किडनी कैंसर के लक्षण क्या होते हैं और किन लक्षणों की नजरअंदाजी स्थिति को और गंभीर बना सकते हैं। आइए जानें।

किडनी कैंसर के लक्षण

डॉ. रमन नारंग (एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट) ने बताया कि किडनी कैंसर के लक्षण (Kidney Cancer Symptoms) आसानी से नजर नहीं आते हैं। इस वजह से इसका पता लगाने में कई मामलों में काफी देर हो जाती है। किडनी कैंसर के शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन इस दौरान में शरीर में कुछ ऐसे बदलाव होते हैं, जिनपर ध्यान देकर इसका जल्दी पता लगाया जा सकता है।

  • यूरिन में खून आना, जिसके कारण मूत्र का रंग गुलाबी, लाल या कोला रंग हो सकता है।
  • बगल में या पीठ के निचले भाग में लंबे समय से दर्द। यह दर्द पस्लियों के बिल्कुल नीचे होता है।
  • अचनाक से वजन कम होना या भूख न लगने जैसी समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, अगर
  • हमेशा थकान महसूस होती है या अच्छा नहीं महसूस होता, तो भी यह किडनी के कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • एब्डोमेन या उसके बगल में ट्यूमर या लंप जैसा महसूस होना।
  • बार-बार बुखार आना, जो किसी इन्फेक्शन से जुड़ा न हो।
  • एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं का कम होना) और ब्लड प्रेशर बढ़ना भी किडनी के कैंसर का संकेत देते हैं।
  • रात को पसीने आना या पैरों में एडिमा भी किडनी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

डॉ. नारंग हैं कि अगर ऐसे कोई भी लक्षण नजर आएं या ये लक्षण और गंभीर रूप लेने लग जाएं, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि सही वक्त पर बीमारी का पता लग सके और इसका इलाज भी किया जा सकता है।

किडनी कैंसर के रिस्क फैक्टर्स

डॉ. दिनेश सिंह (एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के चेयरमैन) ने बताया कि किडनी कैंसर से मुख्यतः वयस्क प्रभावित होते हैं। इसकी प्रमुख्य वजह हमारी लाइफस्टाइल, वातावरण और जेनेटिक्स हो सकते हैं।

  • इसका सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है स्मोकिंग। स्मोकिंग से निकलने वाले जहरीले पदार्थ किडनी में इकट्ठा हो जाते हैं और सेल्स में बदलाव कर सकते हैं। किडनी से ये टॉक्सिन्स अपनी शरीर के अन्य हिस्सों में भी ब्लड के जरिए फैल सकते हैं।
  • किडनी कैंसर का दूसरा रिस्क फैक्टर है मोटापा। वजन ज्यादा होने की वजह से हार्मोनल असंतुलन और सूजन हो सकती है। इन दोनों कारणों से ही किडनी के टिश्यूज में ट्यूमर बन सकते हैं।
  • जेनेटिक्स भी किडनी कैंसर के पीछे अहम भूमिका निभाते हैं। जिस व्यक्ति के परिवार में किसी को किडनी कैंसर की समस्या रही हो, उनमें इसका खतरा औरों से ज्यादा रहता है। कुछ जेनेटिक्स असमान्यताओं की वजह से भी रीनल सेल टॉक्सिन्स का खतरा बढ़ जाता है, जो किडनी कैंसर का एक प्रमुख कारण है।
  • किसी क्रॉनिक किडनी डिजीज या डिसऑर्डर की वजह से भी किडनी कैंसर हो सकता है। लंबे समय से होने वाला डायलाइसिस भी इसका एक कारण हो सकता है। इसके अलावा, किडनी में चोट लगने, सूजन, सेल्यूलर टर्नओवर, रीनल ब्लड वेसल्स में डैमेज और हाई ब्लड प्रेशर भी किडनी कैंसर के जोखिम कारकों में शामिल हैं।

    किडनी कैंसर से बचाव

    इस बारे में बात करते हुए डॉ. नारंग बताते हैं कि किडनी कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए नियमित चेकअप और असामान्य लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है।