पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सरकार ने 2008 में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पारित किया था. राज्य विधानसभा में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली. इसकी वजह से ये कानून नहीं बन सका. भजनलाल की सरकार इसे वापस लेगी. लव जिहाद और धार्मिक रूपांतरण के कथितत मामलों को रोकने के लिए राजस्थान सरकार एक नया कानून लाने का निर्णय लिया है. 2008 में पारित विधेयक में व्यक्तियों को दूसरे धर्म में परिवर्तित होने से पहले जिला कलेक्टर की मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता थी.  गैरकानूनी धर्मांतरण के दोषी पाए जाने वालों के लिए पांच साल की जेल की सजा निर्धारित की गई थी. उस विधेयक ने राजस्थान में काफी विवाद खड़ा कर दिया था, लेकिन राज्य विधानसभा में पारित कर दिया गया था. राजस्थान के गृह विभाग ने विधेयक को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. गृह विभाग का दावा है कि राज्य में धर्म परिवर्तन के मामले बढ़ रहे हैं. वर्तमान में राजस्थान में ऐसा कोई काननू नहीं है, जिससे धर्म परिवर्तन में रोक लगाई जा सके. हलांकि, राज्य सरकार ने स्थिति को काबू करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं. प्रस्तावित नए विधेयक में प्रलोभन, धोखाधड़ी या जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए सख्त प्रावधान हैं.