देशभर में NEET परीक्षा रद्द करने को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं NTA ने सुप्रीम कोर्ट में ग्रेस मार्क्स हटाने की बात कही है और जिन छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिल उनकी दोबारा परीक्षा करवाने की बात कही. लेकिन छात्रों समेत उनके परेटंस परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं. अब इस केस को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल की भी एंट्री हो गई है. नागौर से आरएलपी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से परीक्षा रद्द करने की मांग की है. उन्होंने परीक्षा को रद्द करते हुए सीबीआई से जांच करवाने की मांग करते हुए एनटीए की कार्यशैली और जवाबदेही पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा किया है. सांसद बेनीवाल ने कहा की मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश को लेकर आयोजित हुई नीट यूजी परीक्षा से जुड़े मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा पदभार संभालते ही एनटीए को क्लीन चिट देना और 24 घंटे बाद ही एजेंसी और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने से जुड़ी बात कहने से यह साफ है कि केंद्र सरकार इस मामले में खुद की नाकामी को लगातार छुपाने का प्रयास कर रही है. लेकिन जिस प्रकार इस परीक्षा से जुड़े पहलू सामने आ रहे है उससे यह स्पष्ट है कि बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है. उन्होंने ट्वीट करके कहा की कई अभ्यर्थियों को मनचाहा सेंटर देना. पटना में जेल भेजे गए अभ्यर्थियों द्वारा चार घंटे पहले प्रश्न पत्र और उत्तर मिलना स्वीकार करना और सैकड़ों छात्र जिनका परीक्षा के दौरान समय खराब नहीं हुआ, बावजूद इसके उन्हें ग्रेस अंक देना यह स्पष्ट कर रहा है कि पेपर आउट होने से लेकर परीक्षा केंद्रों तक भारी गड़बड़ी हुई है. बेनीवाल ने मीडिया रिपोर्टस का हवाला देते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर लगी याचिकाओं पर एनटीए से जवाब मांगा है. मगर केंद्र को खुद आगे चलकर इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश कर करते हुए अविलंब इस परीक्षा को रद्द करना चाहिए. बेनीवाल ने कहा की मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश को लेकर देश की यह सबसे बड़ी परीक्षा है, शिक्षा मंत्री ने 24 घंटे में अपने बयान बदल दिए. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे आकर मामले में वक्तव्य देना चाहिए, उन्होंने यह भी कहा कि इस परीक्षा में हुई गड़बड़ी से देश के मेहनतकश छात्र आहत है और आंदोलित भी है. उनके साथ न्याय होना चाहिए और हम न्याय की लड़ाई में आंदोलित छात्र छात्राओं के साथ खड़े है. बेनीवाल ने एनटीए की जवाबदेही और कार्यशैली को संदेह के दायरे में खड़ा किया है.