PM Modi kanyakumari meditation कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 30 मई से कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 48 घंटे के ध्यान कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि ये चुनाव आचार संहिता का सीधा-सीधा उल्लंघन है। चुनाव प्रचार थमने के बाद मोदी ध्यान के जरिये चुनावी प्रतिबंधों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या कहता है कानून?
- चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के ध्यान लगाने के कार्यक्रम पर चुनाव कानून के तहत कोई रोक नहीं है। कांग्रेस द्वारा 30 मई से कन्याकुमारी के ध्यान मंडपम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा के विरोध के बीच सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह बात कही।
- सूत्रों ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का हवाला देते हुए कहा कि यह मतदान से पहले साइलेंस पीरियड के दौरान सार्वजनिक बैठकों या जनता के बीच चुनाव प्रचार पर रोक लगाती है।
- साइलेंस पीरियड मतदान समाप्त होने से 48 घंटे पहले शुरू होता है। अंतिम चरण में एक जून को होने वाले मतदान के लिए साइलेंस पीरियड गुरुवार को शाम छह बजे से शुरू होगा।
चुनाव आयोग द्वारा जारी प्रेस नोट का दिया हवाला
पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भी इसी चरण में मतदान होना है। सूत्रों ने कहा कि हालांकि चुनाव कानून के प्रविधान कई चरणों में होने वाले चुनाव के मामले में लागू नहीं होते हैं। यानी जब चुनाव अलग-अलग तारीखों पर होते हैं। उन्होंने इस संबंध में पिछले महीने चुनाव आयोग द्वारा जारी एक प्रेस नोट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जब तक कोई उस इलाके के बारे में बात नहीं करता है जहां चुनाव हो रहा है, तब तक इस पर कोई रोक नहीं है।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की ये अपील
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मीडिया द्वारा मोदी के इस ध्यान लगाने के कार्यक्रम का प्रसारण न किया जाए क्योंकि यह आचार संहिता का उल्लंघन करता है। उधर, तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने कहा है कि यदि मोदी का ध्यान कार्यक्रम प्रसारित हुआ तो पार्टी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी।