राजस्थान कांग्रेस में नकारा, निकम्मा, गद्दार और धोखेबाज शब्द एक बार फिर गूंज उठे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर इन शब्दों का इस्तेमाल किया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं को नकारा, निकम्मा, गद्दार और पीठ में छुरा घोंपने वाला नेता बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग पार्टी के पीठ में छुरा घोंप कर गए हैं। उनके लिए नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करें तो और क्या करें। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तो इन लोगों ने मजे लिए और अब पार्टी संकट में है तो साथ छोड़कर चले गए। अशोक गहलोत की ओर से गद्दार, नकारा, निकम्मा जैसा बयान दिए जाने के बाद पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा ने पलटवार किया है। मिर्धा ने बयान जारी करके कहा कि पार्टी छोड़कर जाने की वजह तो गहलोत खुद है। पांच साल तक सरकार में रहते हुए उन्होंने अपनी मनमर्जी की। कांग्रेसी नेताओं के भी काम नहीं किए। नेताओं को आपस में लड़ाया। यही वजह से कि कांग्रेस के कई नेता आपकी वजह से कांग्रेस छोड़कर चले गए और कांग्रेस की दुर्गति हो गई। मिर्धा ने कहा कि अशोक गहलोत ने तो मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखने के लिए पार्टी के लोकप्रिय नेता सचिन पायलट के लिए भी गद्दार, नकारा और निकम्मा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। रिछपाल मिर्धा ने कहा कि सत्ता में रहते हुए अशोक गहलोत ने अपनी पार्टी के नेताओं के काम करने के बजाय दूसरे नेताओं के काम किए। कांग्रेसी विधायक काम के लिए तरसते रहे। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेता गिड़गिड़ाते रहे लेकिन गहलोत ने अन्य दलों के नेताओं और निर्दलीय विधायकों को गले लगा लिया। नागौर का उदाहरण देते हुए मिर्धा ने कहा कि नागौर में कांग्रेसी नेता को आगे बढाने के बजाय विपक्षी पार्टी की झोली में जाकर बैठ गए। जो व्यक्ति रोज पानी पी पीकर कांग्रेस को गाली देता रहा। उसी की पार्टी से गठबंधन कर लिया और उसके लिए चुनाव प्रचार किया।