पूर्व सीएम अशोक गहलोत अमेठी संसदीय क्षेत्र में एक इंटरव्यू में सचिन पायलट के बयान को बेवकूफी भरा बयान बता दिया. दरअसल, पायलट ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जालौर में वैभव गहलोत के चुनाव प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. इसके बाद गहलोत ने ऐसे बयान देने से बचने की सलाह दी थी. अगले महीने 4 जून को लोकसभा चुना के रिजल्ट घोषित हो जाएंगे. चुनाव परिणाम कांग्रेस की राजनीति पर असर डाल सकते हैं. जहां अशोक गहलोत बेटे की लोकसभा सीट पर प्रचार में व्यस्त थे. वहीं, पायलट ने भी समर्थित नेताओं के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोक दी. सचिन पायलट ने टोंक-सवाई माधोपुर सहित कई सीटों पर जमकर धुआंधार प्रचार किया है. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इन सीटों पर बीजेपी बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है. ऐसे में इस बार अगर इन सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई तो पायलट की ताकत बढ़ेगी. सचिन पायलट राजस्थान के बाद लोकसभा चुनाव में 14 राज्यों में 100 से अधिक सभाएं कर चुके हैं. यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बाद सबसे अधिक डिमांड सचिन पायलट की है. आने वाले दिनों में वह पंजाब, हिमाचल और सातवें चरण के बाकी राज्यों में प्रचार करने जाएंगे. जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आता नजर नहीं आ रहा है. इस सीट पर अशोक गहलोत के बेटे की हार होती है तो एक बड़ा सियासी तूफान आ सकता है. हलांकि, इस बात पर सबकुछ निर्भर करेगा की राजस्थान में कांग्रेस कितनी सीटें जीतती हैं. पायलट समर्थित प्रत्याशियों के संसदीय क्षेत्र में क्या परिणाम रहता है ? राजनीतिक एक्सपर्ट्स का दावा है कि इस बार बीजेपी की सीटों में कटौती हो सकती है. खुद गृहमंत्री अमित शाह भी इसे स्वीकार चुके हैं. इससे एक कदम आगे रहते हुए कांग्रेस नेता 7 से 10 सीटों का दावा कर रहे हैं.