राजस्थान की कॉपर सिटी में हुए खदान हादसे में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के चीफ विजिलेंस ऑफिस उपेंद्र कुमार पांडे की मौत हो गई है. उनके शव को केसीसी अस्पताल में रखवाया गया. वहीं लिफ्ट में फंसे अन्य 14 अधिकारियों को सुरक्षित बाहर निकालकर जयपुर के मणिपाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. लिफ्ट टूटकर अचाकर नीचे गिरने के कारण 3 अधिकारियों के पैर में फ्रेक्चर हो गया है, जबकि कुछ के हाथ में चोटें आई हैं.
ये सभी अधिकारी मंगलवार शाम 1875 फीट गहरी खदान में निरीक्षण करने लिफ्ट के जरिए नीचे गए थे. करीब 7:30 बजे जब निगरानी विभाग के सदस्य और अन्य अधिकारी वापस ऊपर आ रहे थे, तभी अचानक लिफ्ट की रस्सी टूट गई, और नीचे जा गिरी. इसके बाद खदान में अफरा तफरी मच गई और आनन फानन में तीन टीमों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. करीब 13 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद बुधवार सुबह एक-एक करके सभी 15 अधिकारियों को बाहर निकाल लिया गया. पहले स्लॉट में कोलिहान खदान प्रभारी ए. के. शर्मा, मैनेजर प्रीतम ओर हंसीराम बाहर आए. जबकि दूसरे स्लॉट में जेडी गुप्ता, ए.के. बेरवा, वनेंदू भंडारी, निरंजन साहू, भागीरथ सिंह कुशल को बाहर निकाला गया. इसके बाद बाकी सदस्यों का रेस्क्यू किया गया. बताते चलें कि राजस्थान के जिस इलाके में ये खदान हादसा हुआ है वो जयपुर नगर से 80 मील उत्तर में है. यह इलाका चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है. इसी कारण खेतड़ी और उसके आसपास के हिस्से में तांबे के बड़े भंडार हैं. देश का 50 प्रतिशत तांबा इन्हीं पहाड़ों की खदान से निकाला जाता है. इसी कारण इसे 'ताम्र नगरी' कहा जाता है. इन खदानों में खनन का काम भारत सरकार के उपक्रम से हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड करता है. हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन है. भारत में केवल इसी कंपनी को देशभर में खनन से लेकर सारी प्रक्रियाओं का काम करने का लाइसेंस मिला हुआ है. खेतड़ी और कोलिहान क्षेत्र में करीब 324 किमी के दायरे में 300 से अधिक भूमिगत खदानें हैं, जहां समुद्र तल से माइनस 102 मीटर की गहराई पर तांबा निकाला जाता है. ऐसे में यह देश की पहली सबसे बड़ी और सबसे गहरी तांबे की माइंस हैं