शिव के पूर्व विधायक व वयोवृद्ध जनप्रतिनिधि अमीन खां ने कांग्रेस से खुद को बर्खास्त करने को गलत करार दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि मैंने तो केवल जुबानी कहा था। ना ही निर्दलीय की सभा में गया और न ही प्रचार प्रसार में, जिन लोगों ने पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा। जिलाध्यक्ष होकर जो विरोध में उतरा, उसको वापस ले लिया? फिर मेरा छह साल निष्कासन क्यों? मैं तब तक तो जिंदा भी नहीं रहूंगा।

अमीन खां ने कहा कि मैंने 1955 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। तब से लेकर आज तक कांग्रेस का सच्चा सिपाही बना रहा हूं। शुरुआती दौर में हमारे क्षेत्र में मुझे लबा संघर्ष करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी में होने के कारण कई बार मुझ पर जुल्म हुए, लेकिन मैं झुका नहीं, रुका नहीं। उम्र के इस अंतिम पड़ाव पर कांग्रेस पार्टी का मुझे बर्खास्त करना पार्टी का गैर जिमेदार कार्य है। मैं उम्र के अंतिम पड़ाव पर हूं और मुझे 6 साल के लिए बर्खास्त करना समझ से परे है। तब तक शायद में जिंदा ही नहीं रहूं। अमीन खां ने कहा कि चुनावों में उन्होंने अपनी नाराजगी जताई। निर्दलीय प्रत्याशी को लेकर संतुलित बयान दिए। न तो उसका प्रचार-प्रसार किया और न ही किसी मंच पर साथ में रहा। यह इतना बड़ा गुनाह कैसे हो गया कि पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए। यदि यह इतना बड़ा गुनाह है तो जिन लोगों ने कांग्रेस को कमजोर करने का काम किया और कांग्रेस को हराने का काम किया वे लोग महज एक महीने में बर्खास्त होकर बहाल कैसे हो गए? कांग्रेस पार्टी का भविष्य अगर इस प्रकार तय होना है तो उनकी मर्जी। पिछले 10 सालों में केंद्र में भाजपा की सरकार है, लेकिन इन्होंने हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। अमीन खां ने कहा कि मैने पार्टी में मेरी पूरी उम्र दे दी। चुनाव लड़ा भी, जीता भी और लगातार पार्टी के साथ रहा। विधानसभा चुनावों में जिसको टिकट मिले उसके साथ खड़ा रहना ही पार्टी के लोगों का फर्ज था। मेरे को टिकट मिला तो जिलाध्यक्ष को मेरे साथ होना चाहिए था। वह मेरे साथ नहीं रहा और निर्दलीय लड़ा। उसके साथ कौन-कौन थे, यह सब जानते हैं। मैंने विधानसभा चुनावों में पार्टी विरोध में जिसने जो किया वो सार्वजनिक व पार्टी में कहा, यह कैसे गलत हो गया? कांग्रेस में अहमद पटेल जैसे नेता था, उनकी कमी खल रही है। 1955 से अब तक का मेरा कांग्रेस समर्पित जीवन पढ़ा जाता फिर बात होती।