काला हिरण शिकार मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान  को सशर्त माफी देने वाला बयान सामने आने के बाद बिश्नोई समाज में विरोध शुरू हो गया है. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुढिया के बयान पर पलटवार करते हुए बिश्नोई टाइगर फोर्स के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल भवाद ने मंगलवार को एक वीडियो जारी किया है, जिसमें वे 'माफी' शब्द के इस्तेमाल को ही 'गैरकानूनी' बता रहे . भवाद ने अपने वीडियो के जरिए समाज की विभिन्न संस्थाओं के सम्मानित पदाधिकारियों से आग्रह करते हुए कहा, 'सलमान खान हिरण शिकार प्रकरण में थोथी व गैरकानूनी मीडिया बाजी से बचे. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रथम अनुसूची हो या अन्य अनुसूची, वन्य जीव अपराध संबंधी जैसे चिंकारा, काला हिरण या टाइगर इत्यादि शिकार प्रकरणों में राज्य सरकार की तरफ से मुकदमा लड़ा जाता है. इसलिए समाज के बंधुओ से निवेदन है कि न्यायिक जगत में कानूनी परिभाषा के चलते उक्त सामाजिक दंड चुग्गा या माफी जैसी शब्दावली का प्रयोग गैर कानूनी है, और औचित्य हीन है. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की सटीक जानकारी के अभाव में इस तरह के बयानों से पर्यावरण प्रेमी हास्य के पात्र बनते जा रहे हैं.' पिछले दिनों अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर हुई फायरिंग के बाद फिल्मी जगत की कई हस्तियों ने अपने वीडियो जारी कर बिश्नोई समाज से माफी मांगी थी और सलमान खान को माफ करने की अपील की थी. राखी सावंत के बाद सोमी अली की अपील के बाद अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुढिया ने बयान जारी करते हुए कहा था कि अगर सलमान प्रस्ताव भेजकर माफी की बात करता है तो उस पर कुछ विचार किया जा सकता है. 26 साल पुराने काला हिरण शिकार मामले में बिश्नोई समाज सलमान खान को माफ कर सकता है, बशर्तें वह मंदिर पर आकर पर्यावरण एवं वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर शपथ ले. उसके बाद समाज के प्रबुद्धजन आपस में बैठकर यह निर्णय ले सकते हैं कि सलमान को माफ किया जा सकता है, या नहीं. अगर सलमान खान मंदिर में आकर खुद माफी मांगे तो बात बनेगी. देवेंद्र बुढ़िया ने कहा था कि बिश्नोई समाज के 29 नियमों में एक नियम माफी का भी है तो प्रबुद्ध जन बैठकर इस पर विचार कर सकते हैं.