नई दिल्ली। अंगदान महादान है और इस दिशा में भगीरथी प्रयास के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को आईसीयू में भर्ती 'ब्रेन स्टेम डेड' मरीजों के मामलों की निगरानी करने को कहा है। सरकार का कहना है कि ऐसी मौतों की ठीक से पहचान नहीं होने और उचित सर्टिफिकेशन के अभाव में देश में अंगदान की दर बहुत ही कम है।देश में अंगदान की दर बढ़ाने के लिए ही केंद्र सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी जारी की है क्योंकि हर दस लाख लोगों पर एक से भी कम अंगदानकर्ता है। इसके समाधान के तौर पर सरकार की मंशा ब्रेन डेड मरीजों और अंग प्रत्यारोपण को आपस में जोड़ कर अंगदान की एक प्रणाली विकसित करने की है।
ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा
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एनओटीटीओ के निदेशक ने राज्यों को पत्र लिखा
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के निदेशक डा. अनिल कुमार ने राज्यों को भेजे पत्र में कहा कि भारत में अंगदान की दर लगातार कम रह रही है। इस दिशा में प्रमुख चुनौतियों में से ब्रेन स्टेम डेड (बीएसडी) की समुचित पहचान और उचित सर्टिफिकेशन नहीं होना है।
देश में लाखों जरूरतमंदों की अंग नहीं मिलने से जान जा रही
देश में लाखों जरूरतमंदों को समय रहते अंग नहीं मिलने से उनकी जान जा रही है। आईसीयू में होने वाली सभी मौतों में से पांच प्रतिशत ब्रेन डेड का नतीजा होती हैं। इसके बावजूद समय रहते इनकी पहचान नहीं हो पाती। इसलिए अस्पतालों के आइसीयू (इंटेसिव क्येर यूनिट) में भर्ती संभावित ब्रेन डेड मरीजों की सही पहचान होना बहुत जरूरी है। देश में कानूनी प्रविधान 'द ट्रांसप्लांटेशन आफ ह्यूमन ऑर्गन्स टिश्यूज एक्ट, 1994' के तहत ही इस प्रक्रिया को अंजाम देना जरूरी है।
जिसमें स्थायी रूप से जीवन का कोई चिन्ह बाकी नहीं वह मृत व्यक्ति
इस कानून की धारा 2(ई) के अनुसार एक मृत व्यक्ति वह है जिसमें स्थायी रूप से जीवन का कोई चिन्ह बाकी न रह गया हो। लेकिन इस मौत का कारण ब्रेन स्टेम डेथ हो या हृदय या फेफड़ों का काम बंद करना हो। संभावित आर्गन डोनर के लिए यह भी जरूरी है कि उसने अंगदान के लिए संकल्प लिया हो। और अगर उस मरीज ने पहले से ऐसा नहीं किया है तो उनके स्वजनों को इस बात से अवगत कराकर उन्हें मरीज की हृदयगति थमने से पहले कानूनन अंगदान के लिए स्वीकृति लेनी चाहिए। कुमार ने कहा कि वह देश में अंगदान बढ़ाने के प्रयास में सबका सहयोग चाहते हैं।
मरीजों की जानकारी जुटाने की प्रक्रिया
आईसीयू में डॉक्टर ऑन ड्यूटी को ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की मदद से ऐसे बीएसडी मामलों की जांच-पड़ताल करनी चाहिए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के क्षेत्रीय और राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (आरओटीटीओ और एसओटीटीओ) के निदेशकों को भेजे पत्र में प्रत्येक संस्थान से अपील की गई है कि वह इस अधिनियम के प्रविधानों के तहत बीएसडी मामलों की निगरानी और सर्टिफिकेशन को अहमियत दें।