आमतौर पर रोजमर्रा की छोटी-मोटी चीजें जिन्हें हम कहीं रखकर भूल जाते हैं उन्हें याददाश्त से जोड़कर देखा जाता है। चाबी, फोन, पर्स या कोई अन्य चीज आप भी कहीं रखकर भूल जाते हैं और इसे मेमोरी कमजोर होने का साइन मानते हैं, तो ये आर्टिकल आप ही के लिए है। दरअसल, हाल ही में सामने एक किताब में इस बात का खुलासा हुआ है कि ऐसी चीजें हमेशा खराब याददाश्त का इशारा नहीं होती हैं। आइए जानें।

रोजमर्रा की छोटी-मोटी चीजें खोना आम बात

रोड आइलैंड कॉलेज और इंडियाना यूनिवर्सिटी के दो अमेरिकी प्रोफेसरों की नई किताब 'द साइकोलॉजी ऑफ मेमोरी' में जानकारी दी गई है कि कोई भी अपनी मेमोरी पावर को बढ़ा सकता है और इसमें रोजमर्रा की छोटी-मोटी चीजें, जैसे- चाबियां खोना एक आम बात है। पुस्तक में डॉ. मेगन सुमेराकी और एल्थिया नीड कमिंस्के कहते हैं कि जानकारी को जुटाना और उसे दोबारा से याद करना उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है, जितना आप सोचते हैं। किताब में सीखने की क्षमता को बेहतर बनाने और सरल स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली तकनीकों के बारे में भी बताया गया है।

इसलिए डिडाइन नहीं हुआ मेमोरी सिस्टम

डॉ. कामिंस्के कहते हैं कि ''हम अपनी याददाश्त के बारे में सबसे अधिक जागरूक तब होते हैं, जब हमें कुछ याद रखने में परेशानी होती है। याददाश्त कैसे काम करती है इसके बारे में हमारा अंतर्ज्ञान थोड़ा पक्षपाती हो सकता है।'' उन्‍होंने कहा, ''आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि हमारे मेमोरी सिस्टम को यह याद रखने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है कि हमने अपना फोन, चाबियां या पानी की बोतलें कहां रखी हैं।'' हालांकि हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि अगर हम जीवन के लिए संघर्षरत होते, जहां निर्जलीकरण एक चिंता का विषय हो, तो हम जल स्रोतों के बारे में अधिक जागरूक होते।'' लेखकों ने कहा, ''जो लोग फिटनेस से जुड़े होते हैं वह चीजें याद रखने में बेहतर होते हैं.''

क्या होती है याददाश्त खराब होने की वजह?

किताब में बताया गया है कि शराब, नींद की कमी और कैफीन से याददाश्त कैसे खराब हो सकती है। लेखकों ने स्मृति-बढ़ाने वाली तकनीकों जैसे 'पुनर्प्राप्ति अभ्यास' की रणनीति का सुझाव दिया है। उदाहरण के लिए, हर बार जब आप किसी नए सहकर्मी को देखें तो जानबूझकर उसे नाम से बुलाने से आपको नाम याद रखने में मदद मिल सकती है।