नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित लगभग 18,000 लोगों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान की सुविधा की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस अदालत का हस्तक्षेप, विशेष रूप से इस विलंबित चरण में, मणिपुर के लिए लोकसभा के आगामी आम चुनावों के संचालन में महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा करेगा।
18000 आंतरिक रूप से लोग हैं विस्थापित
पीठ ने कहा, "आप अंतिम समय में आये हैं। इस स्तर पर, वस्तुतः क्या किया जा सकता है? हम इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि 18,000 आंतरिक रूप से विस्थापित लोग हैं। वे मणिपुर में चुनाव में मतदान करना चाहते हैं।
साल 2023 से मणिपुर हिंसा की चपेट में
मणिपुर मई 2023 से हिंसा की चपेट में है। 3 मई को पहली बार राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हैं, जब पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया गया था। हालांकि हिंसा की घटनाओं की संख्या में धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन कई लोग अभी भी अपने घरों से दूर राहत शिविरों में रह रहे हैं।