नई दिल्ली। चुनाव से पहले ही नई सरकार के एजेंडा पर काम कर रहे केंद्रीय अधिकारी बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।बताया जाता है कि सभी बुजुर्गों के लिए पेंशन की नई स्कीम लाई जा सकती है ताकि आने वाले समय में गैर सरकारी श्रमिक एवं अपना कारोबार करने वाले बुजुर्गों को भी इतनी रकम मिलती रहे कि वे अपनी दवा व रोजमर्रा के खर्च को निकाल सके। नीति आयोग ने सरकार को बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा के लिए सुझाव भी दिए हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस भी शामिल

इनमें पेंशन की सुविधा के साथ हेल्थ इंश्योरेंस भी शामिल हैं। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 78 प्रतिशत लोगों को पास पेंशन की कोई सुविधा नहीं है और 60 साल से अधिक उम्र के सिर्फ 18 प्रतिशत लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस है।

अभी सरकार नेशनल सोशल अस्सिटेंस प्रोग्राम (एनएसएपी) के तहत वरिष्ठ नागरिक समेत विधवा व विकलांगों को पेंशन देती है। केंद्र सरकार इस प्रोग्राम के तहत 79 साल तक की उम्र वालों को 200 रुपए प्रतिमाह तो 80 से ऊपर की उम्र वालों को 500 रुपए प्रतिमाह देती है।

तीन करोड़ बुजुर्गों को एनएसएपी के तहत दी जाती है पेंशन

इस राशि में राज्य सरकार अपना योगदान मिलाकर उन्हें पेशन देती है। लगभग तीन करोड़ बुजुर्गों को एनएसएपी के तहत पेंशन दी जाती है। जून में गठित होने वाली नई सरकार पेंशन राशि में अपने योगदान को बढ़ा सकती है और इसे लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

नीति आयोग ने अपने सुझाव में माइक्रो पेंशन प्रोडक्ट विकसित करने के साथ वरिष्ठ महिलाओं के साथ असंगठित सेक्टर में काम करने वालों को भी पेंशन प्रोग्राम में शामिल करने का सुझाव दिया है। पेंशन उत्पाद की डिलिवरी के लिए जन-धन, आधार व मोबाइल (जैम) डाटा का उपयोग किया जा सकता है।