ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल में पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक आज की पीढ़ी का ब्रेन साइज 100 साल पहले पैदा हुए लोगों के मुकाबले ज्यादा बड़ा है लेकिन युवा पीढ़ी के आईक्यू में पहले की पीढ़ियों के मुकाबले कमी देखने को मिली है। स्टडी में इससे जुड़े संभावित कारणों को भी उजागर किया गया है। आइए आपको बताते हैं इस शोध से जुड़ी बातों के बारे में।

जनरेशन जेड (1997-2012 के बीच जन्में लोग) और जनरेशन अल्फा ( 2010-2025 के बीच जन्में लोग) के दिमाग का साइज आज से 100 साल पहले पैदा हुए लोगों के मुकाबले ज्यादा बड़ा है। ब्रिटिश वेबसाइट 'डेली मेल' में छपी स्टडी बताती है कि एक ओर जहां इनके दिमाग के साइज में इजाफा देखने को मिला है, वहीं इन दो जेनरेशन का आईक्यू पिछली पीढ़ियों के मुकाबले कम हो गया है। आइए जान लीजिए क्या कुछ कहती है यह दिलचस्प स्टडी।

ब्रेन के आकार में हुई बढ़ोतरी

बता दें, यूनिवर्सिटी के 'UC डेविस हेल्थ रिसर्चर्स' ने साल 1930-1970 के दशक में पैदा हुए लोगों के दिमाग के अलग-अलग आकारों पर एक स्टडी की, जिसमें यह सामने आया कि साइलेंट जनरेशन ( 1928-1946 के बीच जन्में लोग) की तुलना में जनरेशन एक्स ( 1965-1980 के बीच जन्मे लोग) के ब्रेन में 6.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। स्टडी में बताया गया है कि ऐसा सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से जुड़े कई पहलुओं के चलते हो सकता है। इसके अलावा इससे इन लोगों में उम्र संबंधी डिमेंशिया के खतरे को भी कम किया जा सकता है।

युवा पीढ़ी के IQ स्कोर में गिरावट

स्टडी में बताया गया है कि युवा पीढ़ी के आईक्यू स्कोर में काफी गिरावट है, इसका कारण मोबाइल और इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता को बताया गया है। वैज्ञानिकों बताते हैं कि इंसान का ब्रेन साइज उसकी बुद्धिमता पर ज्यादा असर नहीं डालता है, इन दोनों के बीच मामूली सा फासला है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक न्यूरोसाइंटिस्ट ने भी पाया है कि ब्रेन का एक्स्ट्रा वजन हमारी इंटेलिजेंस पर सिर्फ थोड़ा सा ही असर डालता है, लेकिन हां, यह हमारे ब्रेन में ज्यादा मेमोरी स्टोर करने में मददगार रह सकता है।

कितना बढ़ा ब्रेन का साइज?

स्टडी में पाया गया कि 1930 के दशक में पैदा हुए लोगों की तुलना में 1970 के दशक में जन्में लोगों के ब्रेन का आकार 6.6 प्रतिशत बढ़ गया है। 75 सालों तक की गई इस स्टडी की मानें, तो आज की पीढ़ी का ब्रेन साइज करीब 1,400 ml है। वहीं, 1930 के दशक में पैदा हुए लोगों के दिमाग का साइज 1,234 ml था। शोधकर्ताओं का कहना है कि शिक्षा और हेल्थ के क्षेत्र में हुए विकास के द्वारा ही इसके सही कारणों का पता लगाया जा सकता है।