आपने कई बार गौर किया होगा कि कई लोगों की गर्दन के पीछे कोहनी घुटने का फिर बॉडी के अन्य हिस्सों की स्किन गहरे काले रंग की और मोटी हो जाती है। ऐसा आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में देखा जाता है लेकिन इसके पीछे लिवर की बीमारी भी एक बड़ा कारण हो सकती है। तो आइए जानें इससे जुड़ी जरूरी जानकारी के बारे में।
डायबिटीज से पीड़ित लोगों के शरीर के किसी हिस्से की त्वचा अगर मोटी व गाढ़े काले रंग की होने लगे, तो उसे हल्के में लेने की गलती न करें। डायबिटीज के मरीजों की गर्दन, कोहनी, घुटने, पेट या शरीर के कुछ अन्य हिस्सों में त्वचा मोटी और गाढ़े काले रंग (एकैनथासिस निग्रीकैंस) की हो जाए, तो लिवर की बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
फोर्टिस सी-डाक (डायबिटीज का अस्पताल) और एम्स के द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में शामिल डॉक्टरों ने बताया कि अगर डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीजों में ऐसी दिक्कत हो रही है, तो उन्हें लिवर की जांच जरूर करानी चाहिए। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (एलजीवियर जर्नल) में यह शोध प्रकाशित हुआ है। फोर्टिस सी-डाक के कार्यकारी चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन के काम नहीं करने के कारण गले के पीछे की त्वचा का रंग गाढ़ा या काला हो जाता है और त्वचा मोटी होने लगती है।
डायबिटीज के मरीजों पर हुआ शोध
कोहनी, घुटने, पेट या शरीर के कुछ अन्य हिस्सों की त्वचा पर भी ऐसे बदलाव हो सकते हैं। डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित 300 मरीजों पर एक शोध किया गया, जिसमें 150 मरीज ऐसे थे जिन्हें डायबिटीज के साथ-साथ त्वचा एकैनथासिस निग्रीकैंस की परेशानी थी। बाकी 150 मरीजों को डायबिटीज तो थी, लेकिन उन्हें त्वचा की परेशानी नहीं थी। इन सभी मरीजों की बाडी मास इंडेक्स (बीएमआइ), लिवर फंक्शन जांच और फाइब्रो स्कैन से लिवर की जांच की गई।
दोनों वर्गों के मरीजों पर तुलनात्मक अध्ययन में पाया गया कि एकैनथासिस निग्रीकैंस से पीड़ित मरीजों के लिवर में एंजाइम दूसरे वर्ग के मरीजों की तुलना में अधिक थे। फाइब्रो स्कैन का स्कोर भी अधिक था। इसका कारण लिवर में फैट और फाइब्रोसिस होना था। उन्होंने बताया कि लिवर में फाइब्रोसिस होने पर बाद में इसके सिरोसिस में तब्दील होने का खतरा बना रहता है। इसलिए डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीजों के गले के पीछे की त्वचा गाढ़ी और मोटी होने लगे, तो लिवर की जांच कराकर इलाज करना चाहिए।