भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने राहुल गाँधी द्वारा उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर उठाए गए सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आंतकवाद को रोकना, माफिया को समाप्त करना, उपद्रव, दंगे, हत्याएं व भ्रष्टाचार आदि को मिटाना, शांति स्थापित करना, भाईचारा स्थापित करना, जनता में विश्वास की भावना स्थपित करना, विकास स्थापित करना, क्या यह जंगलराज है? क्या अयोध्या में भगवान् श्री राम जी का भव्य मंदिर का निर्माण सद्भावना के साथ होना जंगलराज है? जिसे उत्तर प्रदेश को आप बीमारू राज्य कहते थे, उस राज्य में 2450 किलोमीटर की नई रेल लाइनों का जाल बिछाना, 4000 किलोमीटर रोड नेटवर्क खड़ा करना, AIMS बनाना, IIM बनाना, एक्सप्रेस हाईवे बनाना, 35 लाख गरीबों को घर देना, पांच लाख का मुफ्त ईलाज लाखों परिवारों को देना, 72 लाख महिलाओं को महिला सेल्फ हेप्ल ग्रुप के माध्यम से इम्पावर्ड करना, क्या यह जंगलराज है?
तरुण चुघ ने राहुल गाँधी को कहा कि वह इटली का चश्मा उतार कर देखें, उन्हें सच्चाई स्पष्ट सामने नजर आएगी। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ने जो इटली का चश्मा लगा रखा है, वह उन्हें सच्चाई देखने नहीं दे रहा।
तरुण चुघ ने राहुल गाँधी के लॉ एंड आर्डर को लेकर दिए गए ब्यान पर बोलते हुए घटना की घोर निंदा करते कहा कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार राज्य में शांति व कानून व्यवस्था स्तापित करने लिए वचनबद्ध व प्रतिबद्ध है और एक भी अपराधी बख्शा नहीं जाएगा। देश की बेटियों की इज्जत तथा उनका सम्मान हमारी सरकार के लिए सर्वप्रथम है। प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के पिछले 10 वर्षों के शासन में देश की बेटियों को इम्पावर्ड करने तथा उनके मान-सम्मान के लिए बीजेपी सरकार द्वारा सख्त कानून बना कर उन्हें लागू किया गया है।
तरुण चुघ ने कहा कि राहुल गाँधी संदेशखली की घटना पर कुछ क्यूँ नहीं बोलते? बंगाल में हो रही घटनाओं को लेकर उनके मुँह से एक शब्द तक नहीं निकलता, क्या उन्हें वो सब दिखाई नहीं देता? बंगाल में ऍफ़आईआर लिखवाने वालों की भी एक लंबी कतार बन चुकी है। बंगाल में इतने अपराध व घटनाएं हो रही हैं और राहुल गाँधी के मुँह से अभी तक दो शब्द नहीं निकले। उंहोने कांग्रेस के दोहरे चेहरे को लेकर सवाल उठाते हुए प्रियंका गाँधी के उस ब्यान जिसमें प्रियंका ने कहा कि ‘मैं लड़की हूँ लड़ सकती हूँ’ कहा कि प्रियंका गाँधी को एक बार बंगाल जाना चाहिए, बारासात हो के आइए, संदेशखली में मिल के तो आइए। अपराध की गाथा वहां लिखी जा रही है, लेकिन गाँधी परिवार उन सब पर चुप क्यूँ हैं?