कान हमारे शरीर का सबसे जरूरी अंग है जिसके बिना जीवन की कल्पना करता मुश्किल हो जाता है। हालांकि बावजूद इसके लोग अपने कानों का ख्याल नहीं रखते हैं। ऐसे में इसे लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल World Hearing Day मनाया जाता है। इस मौके पर आज एक्सपर्ट से जानेंगे कानों में होने वाले ओटिटिस मीडिया विथ इफ्यूजन के बारे में-

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हमारे शरीर में मौजूद सभी अंग हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। यह सभी अंग हमें सेहतमंद रहने में मदद करते हैं। हमारे सेंस ऑर्गन इन्हीं में से एक है, जो हमें आसानी से जीवन जीने में मदद करते हैं। कान इन्हीं जरूरी अंगों में से एक है, जो हमें सुनने में मदद करते हैं। यह हमारे लिए काफी जरूरी होते हैं, जिसके बिना अपना जीवन तक सोच पाना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि अपने कान का भी ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अपनी बिजी लाइफ में लोग अक्सर अपने कानों की सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं।

ऐसे में कानों की सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मकसद से हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे मनाया जाता है। यह दिन हियरिंग लॉस और बहरेपन को रोकने के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विश्व स्तर पर कान और उनकी देखभाल को बढ़ावा देना है। इस मौके पर आज हम जानेंगे कानों में होने वाले संक्रमण ओटिटिस मीडिया (ओएमई) के बारे में, जिसकी अनदेखी आपके लिए हानिकारक हो सकती है। इस बारे में हमने सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम में लीड ईएनटी कंसल्टेंट डॉक्टर अनिष गुप्ता से विस्तार में जानने की कोशिश की-

क्या है ओटिटिस मीडिया विथ इफ्यूजन?

डॉक्टर बताते हैं कि पिछले कुछ समय में मिडल ईयर में ओटिटिस मीडिया विथ इफ्यूजन (Otitis Media with Effusion) या ओएमई (OME) के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। इस परेशानी को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन अगर इसका इलाज न कराया जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इससे मिडल ईयर का इन्फेक्शन हो सकता है या मिडिल ईयर में धीरे-धीरे वेंटिलेशन की समस्या हो सकती है।

ओएमई के कारण

ओटिटिस मीडिया विथ इफ्यूजन (ओएमई) होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें लगातार कोल्ड होना, एलर्जी, वायरल इंफेक्शन, एडेनोओडाइटिस और एडेनोइड हाइपरट्रॉफी शामिल हैं।

क्यों बढ़ रहे ओएमई के मामले

ओएमई के बढ़ते मामलों पर डॉक्टर कहते हैं कि ओएमई के मामले खासकर कोरोनाकाल के बाद ज्यादा बढ़ी हैं। इसकी वजह एडेनोइड संक्रमण और हाइपरट्रॉफी को माना जाता है। हालांकि, कोरोना वायरस से इसका सीधा संबंध अभी स्थापित होना बाकी है, लेकिन हाल के वक्त में ओएमई के मामलों में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। खासकर 3 से 6 साल के बच्चों को इसका खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में जिन बच्चों को एडोनोइड हाइपरट्रॉफी, बार-बार सर्दी, खांसी और एलर्जी होती है, उन्हें लगातार स्क्रीनिंग और चेकअप की जरूरत है।

ओएमईम के जोखिम कारक

ओएमई की समस्या गंभीर रूप ले सकती है, अगर समय रहते इसकी पहचान न की जाए और इसके इलाज में देर हो जाए। इसकी वजह से ईयरड्रम को डैमेज हो सकता है, और फिर कान की बीमारी हो सकती है। इस सबके कारण सुनने की क्षमता कम हो सकती है, कान तरल पदार्थ बहने लगता है और दूसरी अन्य समस्याएं भी हो जाती हैं। ऐसे में ओएमई के नकारात्मक प्रभाव से बचाव के लिए सही समय पर इसकी पहचान और फिर सही इलाज बहुत जरूरी है।