इन दिनों मौसम में हो रहे बदलाव के कारण एलर्जी सर्दी जुकाम बुखार और गले में खराश जैसी समस्याएं देखने में आ रही हैं। ऐसा हर साल होता है जब भी मौसम बदलना शुरू होता है। तो आइए जानते हैं विस्तार से कि इन सब बीमारियों से बचने के लिए हमें किन आवश्यक सतर्कता उपायों पर ध्यान देने की जरूरत हैं।

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पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट - बूंदी

पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट कीऔर से बूंदी वासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

आजकल तापमान में काफी उतार-चढ़ाव आ रहा है। कभी दिन में तेज धूप निकल रही है, तो रात होते ही तापमान काफी नीचे चला जा रहा है। बीच में कहीं-कहीं बारिश भी हो जा रही है। तापमान में हो रहे इस तरह के परिवर्तनों से हमारा शरीर सामंजस्य नहीं बिठा पाता है। वहीं, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा हुआ है। इन सभी कारणों से एलर्जी, सर्दी, जुकाम, बुखार और गले में खराश जैसी समस्याएं हो रही हैं। इनसे बचने के लिए सतर्क होने की आवश्यकता है ताकि हमारी सेहत और रोजमर्रा का जीवन प्रभावित न हो। जानते हैं उन पांच बातों को, जिससे मौसमी बदलावों के असर से खुद को बचा सकते हैं।

1. एलर्जी से बचने के लिए बढ़ाएं सतर्कता

मौसम में बदलाव और प्रदूषण से एलर्जी होने की प्रबल आशंका रहती है। ये सभी कारण खुद से एलर्जी के कारक भले ही न हों, लेकिन जिन्हें पहले से एलर्जी होती रही है, उनकी दिक्कत ऐसे मौसम में स्वाभाविक तौर पर बढ़ जाती है। शरीर में एलर्जी कारक केमिकल्स तापमान में उतार-चढ़ाव और प्रदूषण के चलते एक्टिव हो जाते हैं। सामान्य तौर पर खांसी-जुकाम और त्वचा की एलर्जी के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। जिन्हें अस्थमा जैसी कोई दिक्कत है, उन्हें इस समय थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत होती है।

क्या करें

  • अभी अचानक से गर्म कपड़ों का प्रयोग बंद न करें, क्योंकि तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते शरीर तालमेल नहीं बिठा पाता।
  • अगर सतर्कता नहीं रखेंगे, तो बीमार पड़ने की आशंका रहती है।
  • एलर्जी और संक्रमण दोनों के अंतर को समझने की जरूरत है।
  • इस समय H1N1 फ्लू फैला हुआ है। अगर किसी को बुखार और उसके साथ नजला-जुकाम भी है, तो वह केवल एलर्जी नहीं है। बुखार संक्रमण होने के कारण आता है।
  • हमें समझने की जरूरत है कि एलर्जी और संक्रमण दोनों का उपचार अलग-अलग होता है।

इन तीन समस्याओं से बचें

तीन तरह के मामले ज्यादा आते हैं-एलर्जी, वायरल फ्लू और बैक्टीरियल निमोनिया। इन तीनों के भेद को समझना जरूरी है। किस तरह की समस्या महसूस हो रही है और उसके क्या-क्या लक्षण हैं, उसी आधार पर उपचार निर्धारित किया जाता है। बेहतर होगा कोई गंभीर लक्षण दिखे तो अच्छे चिकित्सक से परामर्श लें।

2. श्वसन संबंधी बीमारियां

रेस्पिरेटरी संक्रमण में दो तरह के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। पहला, वायरल निमोनिया, जिन्हें इंफ्लूएंजा या फ्लू कहते हैं, दूसरा कम्युनिटी एक्वायर्ड निमोनिया यानी बैक्टीरियल निमोनिया। छोटे बच्चों और बुजुर्गों में यह समस्या गंभीर होने की आशंका रहती है। सामान्य तौर पर जिनकी प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बेहतर होती है, उनमें यह समस्या गंभीर नहीं होती। जिन लोगों को अस्थमा या किडनी आदि से जुड़ी समस्याएं हैं, उनके लक्षण गंभीर हो सकते हैं। समस्या बढ़ने पर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है। प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए अपने खान-पान और दिनचर्या में सुधार करना चाहिए।

क्या करें

  • इस तरह की समस्या होने पर सबसे पहले उसकी जांच कराएं कि संक्रमण वायरल है या बैक्टीरिया जनित।
  • कोई भी दवा खुद के अनुभव के आधार में न शुरू करें।
  • यदि फेफड़े से जुड़ी समस्या है, तो उसी आधार पर डाक्टर तय करेंगे कि एंटीवायरल की जरूरत है या एंटीबायोटिक की।
  • यदि बुखार के साथ संक्रमण के अन्य लक्षण, जैसे पीला गाढ़ा बलगम, सांस लेने में दिक्कत जैसे समस्याएं हो रही हैं, तो बिना देर किए डाक्टर से परामर्श शुरू कर दें।

3. सीजनल अफेक्टिव डिसआर्डर

जब मौसम में बदलाव होता है, तो हमारी दिनचर्या भी प्रभावित होती है। कुछ लोगों के मूड पर भी असर होता है यानी चिड़चिड़ापन जैसी दिक्कतें आने लगती हैं। कुछ लोगों को एंग्जाइटी, डिप्रेशन, थकावट भी महसूस होती है। काम करने में मन नहीं लगता। सारा दिन बिस्तर पर रहने और लोगों से बात नहीं करने का मन करता है। इस तरह के लक्षणों को हम सीजनल अफेक्टिव डिसआर्डर कहते हैं। मौसम और तापमान में परिवर्तन से नींद का चक्र बिगड़ जाता है। इससे मूड स्विंग जैसी दिक्कतें आने लगती हैं।

क्या करें

  • भोजन में पोषक तत्वों की प्रचुरता और पर्याप्त पानी के सेवन का ध्यान रखें।
  • अच्छी और पर्याप्त नींद लें, नींद चक्र को सही रखने का प्रयास करें।
  • व्यायाम और सैर जारी रखें, लेकिन प्रदूषण में जाने से बचें भी।
  • अपने शरीर और सेहत के हिसाब से ही व्यायाम करें।

4. त्वचा संक्रमण को लेकर सतर्कता

सर्दियों में हम गर्म पानी से स्नान कर रहे होते हैं। इससे त्वचा का माइश्चाइजर निकलता रहता है। हीटर व ब्लोअर के कारण त्वचा की ड्राइनेस बढ़ जाती है यानी त्वचा की नमी कम हो जाती है। ऐसे में त्वचा में संक्रमण होने की आशंका रहती है। खुजलाहट के कारण भी संक्रमण हो सकता है। सर्दियों में जब माइश्चराइजर कम हो जाता है और अगर सिंथेटिक कपड़े का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इस वजह से भी एलर्जी हो सकती है।

क्या करें

  • सीधे ब्लोअर और रूम हीटर के संपर्क में आने से बचें।
  • त्वचा की नमी बरकरार रखने के लिए अच्छी स्किनकेयर का प्रयोग करें।
  • त्वचा की नमी और उसे बेहतर रखने वाले विटामिन ई और सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य का सेवन करें।
  • अगर स्किन की ड्राइनेस और खुजली बढ़ती है, तो त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

5. डिहाइड्रेशन से बचना होगा

सर्दी के कारण आमतौर पर लोग पानी का सेवन कम कर देते हैं। लेकिन तापमान में धीरे-धीरे हो रही वृद्धि से शरीर को पानी की जरूरत अधिक महसूस होने लगती है। ऐसे में पानी के साथ-साथ अन्य द्रव की मात्रा भी बढ़ाने की जरूरत है।

क्या करें

  • ध्यान देने की बात है कि बहुत अधिक सादा पानी पीने से कुछ बुजुर्गों में सोडियम का स्तर कम होने की आशंका रहती है। इसलिए पानी के साथ-साथ अन्य द्रवों जैसे दूध, दही, चाय आदि का भी सेवन करना चाहिए।
  • ध्यान रखें शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहे।
  • नमक और पानी संतुलित रहने से गर्मियों में कई तरह की समस्याओं से बचाव होता है।