उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों की साजिश रचने के आरोप में यूएपीए व अन्य धाराओं में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता Umar Khalid ने सुप्रीम कोर्ट से 14 फरवरी को अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है। मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने उनकी याचिका रद्द करते हुए वापस लेने की अनुमति दे दी है।

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका रद्द कर दी। अदालत ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि बुधवार को उमर खालिद ने कोर्ट ने अपनी जमानत याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।

सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी। उमर खालिद साल 2020 से ही दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए की धाराओं में जेल में बंद हैं।

ट्रायल कोर्ट में डालेंगे फ्रेश याचिका

उमर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि यह याचिका इसलिए वापस ली जा रही है क्योंकि कुछ परिस्थितियां बदली हैं और अब हम बेल के लिए ट्रायल कोर्ट में फ्रेश याचिका डालेंगे।

मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बेला त्रिवेदी और पंकज मिथल की पीठ ने याचिका को रद्द कर दिया। हालांकि इस बीच कपिल सिब्बल ने कोर्ट ये जानकारी दी कि वह उमर की तरफ से दायर रिट याचिका जिसमें यूएपीए की सांविधानिकता को चुनौती दी गई है उस केस की सुनवाई करते रहेंगे।