हिट एंड रन कानून के विरोध में ड्राइवरों की हड़ताल का दूसरे दिन मंगलवार को प्रदेश भर में व्यापक प्रभाव रहा। अधिकांश पेट्रोल पंपों में ईंधन का स्टाक खत्म हो जाने के कारण लोग दिनभर भटकते रहे। हालांकि रात में कुछ पंपों में ईंधन मिलने लगा था।
प्रशासन ने कई स्थानों पर सख्ती करते हुए ऐसे हड़तालियों पर कार्रवाई भी की, जिनके कारण गाड़ियां बीच रास्ते में रुकी हुई हैं। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों से बहस भी हुई। ड्राइवरों की हड़ताल से आवक ठप होने के कारण सब्जियां भी महंगी बिकीं। वहीं, देर रात ड्राइवरों की हड़ताल वापस हो गई।
ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के छत्तीसगढ़ प्रभारी सुखदेव सिंह सिद्धू ने बताया कि सरकार से मिले आश्वासन के बाद यह निर्णय लिया गया है। इससे बुधवार से स्थिति सामान्य हो जाएगी। रायपुर पेट्रोल-डीजल एसोसिएशन के महामंत्री अभय भंसाली ने बताया कि सभी पेट्रोल पंपों में पर्याप्त स्टाक है। प्रशासन के साथ एसोसिएशन की इस संबंध में बैठक हो चुकी है। ड्राइवरों को भी समझाया जा रहा है। मंगलवार को जिन पेट्रोल पंपों में ईंधन का स्टाक था, उनमें सुबह से ही ग्राहकों की लंबी कतार लगी रही।
डेढ़ दिन में 8 लाख लीटर पेट्रोल की बिक्री
हालात को देखते हुए हर कोई वाहनों का टैंक फुल कराता रहा ताकि दो-चार दिन कोई परेशानी न हो। हालांकि दोपहर तक यहां भी ईंधन का स्टाक खत्म हो गया। शाम के बाद कुछ पंपों में ईंधन मिला। ड्राइवरों की हड़ताल के चलते टाटीबंध चौक, डूमरतराई (कमल विहार) चौक, मंदिर हसौद सहित कई अन्य क्षेत्रों में गाड़ियों की लंबी कतार लगी रही। इसके चलते लगभग आधे घंटे तक जाम की स्थिति भी बनी रही। हालांकि बाद में प्रशासन ने जाम खत्म कराया।
पंप संचालकों ने बताया कि सामान्य दिनों की तुलना में डेढ़ दिन में ही दोगुने से ज्यादा पेट्रोल की बिक्री हो गई। हालांकि डीजल की बिक्री सामान्य दिनों से भी घट गई। रायपुर जिले में रोजाना चार लाख लीटर पेट्रोल की बिक्री होती है, लेकिन सोमवार दिन से देर रात तक और मंगलवार दोपहर तक लगभग आठ लाख लीटर पेट्रोल की बिक्री हो गई। इसकी कीमत लगभग आठ करोड़ रुपये होती है।
मंगलवार को कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने पुलिस प्रशासन की बैठक ली। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की अफवाहों पर लोग ध्यान न दें। वाहनों में जरूरत के हिसाब से ही ईंधन डलवाएं। ईंधन की लगातार आपूर्ति के लिए जिला अधिकारी आयल वितरण कंपनियों के संपर्क में हैं। कंपनियों ने भी आश्वस्त किया है। उन्होंने कहा कि ईंधन की आपूर्ति किसी भी स्थिति में बाधित होने नहीं दी जाएगी।
ड्राइवरों की हड़ताल का स्कूल-कॉलेज पर पड़ा असर
ड्राइवरों की हड़ताल का असर स्कूल व कॉलेज की बसों पर भी पड़ा। पेट्रोल-डीजल नहीं मिलने के कारण बसें मंगलवार को नहीं चलीं। वहीं, सवारी बसों के पहिए भी थमे रहे। इससे लोग परेशान होते रहे। वहीं दूसरी ओर इसके चलते रेलवे स्टेशन में काफी भीड़ रही। इनमें से बस स्टैंड से पहुंचने वाले यात्री भी काफी संख्या में थे।
बसें बंद होने का दबाव रायपुर रेलवे स्टेशन पर साफ नजर आया। यहां सामान्य दिनों की अपेक्षा लगभग दोगुने यात्री नजर आए। इसके चलते ट्रेनों में चढ़ने के लिए और सीट पाने के लिए आपाधापी की स्थिति बनी रही। विशेषकर लोकल ट्रेनों में चढ़ने के लिए यात्रियों को काफी मशक्कत करना पड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हुई, जो परिवार के साथ सामान लेकर पहुंचे थे।
महिलाओं और युवतियों को भी ट्रेन पर चढ़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। कुछ यात्रियों का कहना था कि बस स्टैंड दूर होने के बाद भी यहां यात्रियों का इतना दबाव है। बस स्टैंड नजदीक होता तो स्थिित बहुत ही नाजुक होती। बुधवार से बसें शुरू हो जाने से यात्रियों को राहत मिलेगी।
हड़ताल की वजह से सब्जियों के दामों में आया उछाल
ड्राइवरों की हड़ताल का सब्जियों की आवक पर भी प्रभाव पड़ा। मंगलवार को थोक सब्जी बाजार डूमरतराई में सब्जियों की आवक 80 प्रतिशत तक घट गई। हालांकि ग्राहकी नहीं होने के कारण यहां सन्नाटा पसरा रहा, लेकिन कमजोर आवक का असर सब्जियों की कीमतों पर पड़ा। एक ही दिन में सब्जियों की कीमतें 40 प्रतिशत तक महंगी हो गईं।
सोमवार तक जो टमाटर 20 रुपये किलो में बिक रहा था, मंगलवार को उसकी कीमत 30 से 35 रुपये किलो, 60 रुपये किलो तक बिकने वाली गोभी 70 रुपये किलो, परवल 60 रुपये किलो, बरबट्टी 60 रुपये किलो, बैगन 50 रुपये किलो और कुम्हड़ा-लौकी 40 रुपये किलो तक बिका।