Elon Musk के ब्रेन इम्प्लांट स्टार्टअप न्यूरालिंक के ह्यूमन ट्रायल के हजारों लोगों ने वॉलेंटियर किया है। बता दें कि कंपनी को दो महीने पहले ही ह्यूमन ट्रायल के लिए अनुमति मिली है। हांलाकि ये अनुमति कुछ खास प्रकार के मरीजों के लिए ही दी गई है। बता दें कि ये स्टार्टअप का पहला क्लिनिकल ट्रायल है। आइये इसके बारे में जानते हैं।
ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा
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केवल दो महीने पहले ही Elon Musk की ब्रेन इम्प्लांट कंपनी को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। बता दें कि पहले जब कंपनी ने इसकी मांग की थी तो उन्हें इसके लिए मना कर दिया गया था। मगर 19 सितंबर को कंपनी को ब्रेन इंप्लान्ट के क्लिनिकल टेस्टिंग के लिए मरीजों की भर्ती शुरू करने की भी मंजूरी मिल गई है।
लोगों की खोज कर रही है कंपनी
इसके बाद कंपनी ने अपनी टेस्टिंग के लिए वॉलेंटियर्स की तलाश करनी शुरू कर दी थी। बता दें कि न्यूरालिंक ऐसे लोगों कि तलाश में है, जो कंपनी को उनके ब्रेन के एक हिस्से को सर्जिकली खोलने और चिप लगवाने के तैयार हो।
रोबोट करेंगे सारी प्रक्रिया
- कंपनी ने बताया कि ये सारी प्रकिया रोबोट द्वारा की जाएगी। इसके अलावा जब रोबोट इस प्रोसेस को खत्म कर लेंगे तो स्कल के गायब टुकड़े को छोटे से चौकोर कंप्यूटर से बदल जाएगा, जो वर्षों तक वहां रहेगा।
- ये चिप आपकी दिमाग की एक्टिविटी को एनालिसिस करकी है और इन जानकारियों को वायरलेस तरीके से लैपटॉप या टैबलेट पर भेजती है।
हजारों लोगों ने दिखाई रूचि
- इसके लिए हजारों लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन इस प्रक्रिया में वहीं लोग हिस्सा ले सकते हैं, जिनकी उम्र 40 साल से कम होगी।
- पहली आई रिपोर्ट में पता चला है कि इस ब्रेन इंप्लान्ट के क्लिनिकल टेस्टिंग में वे मरीज हिस्सा ले सकेंगे, जो गर्दन की चोट या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) के कारण पैरलाइज हुए हैं।