रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मणिपुर में युद्धरत मैतेई और कुकी समुदायों से एक साथ बैठने और दिल से दिल से बातचीत करने की अपील की। बुधवार को राजनाथ सिंह ने म्यांमार की सीमा से लगे दक्षिणी हिस्से में एक चुनावी रैली को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने लोगों से कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और मणिपुर में दोनों समुदायों को अशांत राज्य में स्थिति में सुधार के लिए एक-दूसरे से बात करनी चाहिए। सिंह ने आगे कहा कि पिछले नौ वर्षों में पूर्वोत्तर शांतिपूर्ण रहा है। हालांकि, हमने मणिपुर में हिंसा देखी है और यह हमारे लिए दर्दनाक है।
हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं
सिंह ने कहा, 'हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। हमें दिल से दिल की बातचीत की जरूरत है। मैं दोनों समुदायों से एक साथ बैठने और विश्वास की कमी को खत्म करने की अपील करता हूं।'मणिपुर में पिछले कुछ महीनों में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शत्रुता के कारण बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई है।
उल्लेखनीय है कि 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है। ये हिंसा तब फैली जब मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, 'मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि हिंसा किसी राजनीतिक दल के कारण नहीं हुई। यह कुछ स्थितियों के कारण हुआ।'
मणिपुर की स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश
रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर राजनीतिक लाभ के लिए मणिपुर की स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'जब मणिपुर में स्थिति बिगड़ रही थी, तब कांग्रेस ने इस पर राजनीति करने की पूरी कोशिश की।' उन्होंने कहा कि मिजोरम और पूर्वोत्तर समेत पूरे देश को कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति से दूर रखने की जरूरत है।