चुनाव को लेकर लोगों के बीच चर्चा बढ़ती जा रही है। वहीं सीहोर जिले के मतदाताओं को मिजाज जाना भी बहुत कठिन है और सबसे ज्याद कठिन है सीहोर विधान सभा के मतदाताओं का मिजाज जानना। ये कई बार चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय बना चुके हैं और कई बार निर्दलीय को जिला कर पार्टियों के प्रत्याशियों की जमानत जब्त करा चुके हैं। इसके अलावा जिले की अन्य सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय नहीं रहता। यहां आमने-सामने की टक्कर होती है और अन्य प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाती है। इसके बाद भी प्रत्याशी भाग्य आजमाने से पीछे नहीं रहते।

जिले में चार विधानसभा सीट है। जिन पर 30 से 40 प्रत्याशी मैदान में होते हैं। हर सीट पर औसतन 10 प्रत्याशी मैदान में होते हैं। जिसमें से जीत चार की होनी होती है और मुकाबला आठ के बीच में होता है। कभी मुकाबला त्रिकोणीय हो तो एक-दो प्रत्याशी बढ़ जाते हैं। इस बार क्या होगा यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है क्योंकि इस बार लोगों ने चुप्पी साध रखी है और अब तक किसी की भी लहर नहीं चली है।

इछावर में रहते हैं ज्यादा प्रत्याशी

 

1993 से 2018 के चुनावों पर यदि नजर डाले तो बड़े ही चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि 1952 से मप्र में विधान सभा चुनाव शुरू हुए। जहां पहले चुनाव में इछावर विस सीट पर केशरीमल जैन पहली बार निर्विरोध चुने गए थे। वहीं अब इस सीट पर पिछले छह चुनावों में सबसे ज्यादा प्रत्याशी इसी विस सीट पर देखने को मिले हैं। 2013 में इछावर सीट पर 11, 2008 में 19, 2033 में 10, 1998 में 8 और 1993 में भी आठ ही प्रत्याशी मैदान में थे। वहीं आष्टा में कम प्रत्याशी मैदान में होते हैं।