नई दिल्ली, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को ‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) मीडिया प्रसारकों से मंगलवार को कहा कि सरकार रचनात्मक अभिव्यक्ति के नाम पर भारतीय संस्कृति और समाज को अपमानित करने की अनुमति नहीं देगी।
ओटीटी प्लेटफार्म के प्रतिनिधियों की बैठक में बोले अनुराग
अनुराग ठाकुर ने यह बात ओटीटी प्लेटफार्म के प्रतिनिधियों की एक बैठक के दौरान कही। केंद्रीय मंत्री ने ओटीटी प्रसारकों से अपने मंचों का उपयोग दुष्प्रचार एवं विचारधारा आधारित पक्षपात के लिए नहीं करने को कहा।
'देश की सांस्कृतिक विविधता के प्रति संवेदनशील हो ओटीटी'
अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत एक विविधताओं से भरा देश है। ओटीटी प्लेटफार्म को देश की समग्र चेतना को प्रदर्शित करना चाहिए और सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए स्वस्थ अनुभव वाली सामग्री प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हम भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रहे हैं, ऐसे में इन प्लेटफार्म को देश की सांस्कृतिक विविधता के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
रचनात्मक अभिव्यक्ति के नाम पर अश्लीलता नहीं परोसी जाए'
अनुराग ठाकुर ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए गठजोड़ एवं सम्पर्कों को और मजबूत बनाने पर ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि उनके मंच से रचनात्मक अभिव्यक्ति के नाम पर अश्लीलता नहीं परोसी जाए।
भारतीय धर्मों के खराब चित्रण पर जताई नाराजगी
बैठक के दौरान अनुराग ठाकुर ने ओटीटी के माध्यम से खुले तौर पर पश्चिमी प्रभाव और भारतीय धर्मों और परंपराओं के खराब चित्रण पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने ओटीटी प्रतिनिधियों से इन चिंताओं को दूर करने के लिए एक पखवाड़े के भीतर समाधान प्रस्तावित करने को कहा। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म भारत की सामूहिक चेतना और इसकी विविधता के खिलाफ काम नहीं कर सकता है।
कानूनों और विनियमों को बनाए रखने के महत्व पर दिया जोर
मंत्री ने बैठक के दौरान ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए कानूनों और विनियमों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आईटी नियमों के नियम 9(2) का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि मौजूदा कानूनों के उल्लंघन में पाए जाने वाले किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म को संबंधित कानून के अनुसार परिणामी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने आगे आईटी अधिनियम की धारा 45 के बारे में बात की, जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों या विनियमों का उल्लंघन करने पर 25 हजार रुपये से अधिक का जुर्माना या मुआवजा नहीं देती है।