बेंगलुरु, जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर बयान दिया। उन्होंने सोमवार को कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी और भाजपा के बीच गठबंधन की बात करना जल्दबाजी होगी।
क्या भाजपा और जेडीएस के बीच होगा गठबंधन?
दरअसल, एचडी कुमारस्वामी का ये बयान ऐसे समय में आया है। जब कर्नाचट में भाजपा और जेडीएस के बीच गठबंधन की अटकलों ने जोर पकड़ रखा है। भाजपा नेतृत्व का एक गुट कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एचडी कुमारस्वामी को विधायक दलों के नेता के रूप में नियुक्त करने के पक्ष में है। हालांकि, दूसरा गुट इसका कड़ा विरोध कर रहा है। जिस वजह से दोनों दलों के बीच कोई बातचीत नहीं बन पा रही है।
कुमारस्वामी ने गठबंधन की अटकलों को किया खारिज
इस बीच एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी और भाजपा के बीच गठबंधन की बात करना जल्दबाजी है। कुमारस्वामी ने विपक्षी दलों की बैठक को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर दिखाने की कोशिश कर रही है, जबकि कर्नाटक में उसकी सरकार को किसानों के आत्महत्या करने की घटनाओं की कोई चिंता नहीं है।
'गठबंधन के बारे में कुछ भी कहना होगा जल्दबाजी'
लोकसभा चुनाव के लिए जद(एस) के भाजपा के साथ हाथ मिला सकने की खबरों को लेकर कुमारस्वामी ने कहा कि आम चुनाव में अभी आठ-नौ महीने हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस का जिक्र किए बिना कहा कि विपक्ष की बैठक को लेकर राज्य में सड़कों पर बैनर लगाए गए हैं और वे यह दिखाना चाहते हैं, जैसे कि उन्होंने कोई ऐसी बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है, जो पहले कोई नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस भ्रम में है कि जद(एस) समाप्त हो गई है।
BJP ने बैठक के लिए JDS को दिया न्योता
इससे पहले पूर्व पीएम देवेगौड़ा ने कहा था कि हमें कुछ भी देने से पहले बीजेपी आलाकमान को उपरोक्त मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, भाजपा के राज्य महासचिव एन रविकुमार ने कहा कि हमें पता चला है कि हमारी पार्टी नेतृत्व ने पहले ही जद(एस) को आमंत्रित किया है और मुझे उम्मीद है कि वह अपना मन बनाएगी और मंगलवार को एनडीए की बैठक में भाग लेगी।
क्यों हो रही देरी?
भाजपा और जद(एस) ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन बनाने को इच्छुक हैं। हालांकि, स्थानीय नेतृत्व पर चर्चा सहित पार्टियों के बीच चल रही बातचीत के कारण औपचारिक घोषणा करने में देरी हो रही है। ऐसे में जद(एस) जैसे नए दलों को शामिल करके एनडीए को मजबूत करना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है।
2019 लोकसभा चुनाव में BJP ने दर्ज की थी जीत
बता दें कि आम चुनाव के लिए कर्नाटक को सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक माना जा रहा है क्योंकि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 28 में से 25 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस उपलब्धि को दोहराना बीजेपी के लिए एक कठिन चुनौती होगी। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 135, भाजपा ने 66 और जद(एस) ने 19 सीट जीती थीं।
जद(एस) को है मजबूत गठबंधन की जरूरत
ऐसे में जद(एस) को भी एक मजबूत गठबंधन की जरूरत है क्योंकि वह विधानसभा में मिली करारी हार से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ उनका पिछला गठबंधन असफल रहा था। अगर जद(स), भाजपा के साथ हाथ मिलाती है तो उनके प्रदर्शन में सुधार की संभावना है।
दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा है अहम
भाजपा और जद(एस) के बीच अगर गठबंधन होता है तो लोकसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा अहम होगा। भाजपा, हसन, मांड्या और बेंगलुरु को छोड़ना चाहती है, जहां उसकी सीमित उपस्थिति है। जबकि जद(एस) तुमकुरु, कोलार, चिक्कबल्लापुर और चामराजनगर की मांग कर रही है। भाजपा के एक गुट ने जद(एस) और भगवा पार्टी के विलय का सुझाव दिया है, जिसे क्षेत्रीय पार्टी ने सिरे से खारिज कर दिया है।