नई दिल्ली। एक देश एक विधान की अवधारणा को पूरा करने वाली समान नागरिक संहिता पर अलग अलग स्तर से मंथन शुरू हो गया है। विधि मामलों की संसदीय समिति पिछले विधि आयोग द्वारा परिवार विधियों में संशोधन के बारे में जारी किये गए परामर्श पत्र पर विचार विमर्श करेगी। इसके लिए समिति ने तीन जुलाई को बैठक बुलाई है। बैठक में समिति के सदस्यों के अलावा विधि आयोग के सदस्य व कानून मंत्रालय के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे। समिति इन सभी के साथ समान नागरिक संहिता पर विचार विमर्श और मंथन करेगी।
तीस सदस्यीय विधि मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने दैनिक जागरण को बताया कि विधि आयोग जानकारी देगा कि उस विमर्श पत्र में क्या प्रमुख चीजें दी गई हैं। इसके अलावा संसदीय समिति के सदस्यों की कुछ अगर जिज्ञासाएं या सवाल होंगे तो वे भी चर्चा में पूछे या जाने जा सकते हैं। बैठक में कानून मंत्रालय के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे। जरूरत हुई तो आगे और भी बैठकें हो सकती हैं।
यूसीसी पर मिले लाखों सुझाव
विधि मामलों की संसदीय समिति कानून से जुड़े मुद्दों पर विचार करती है और पर्सनल लॉ के रिव्यू का मुद्दा भी इस कमेटी के दायरे में आता है। पिछले वर्ष समिति ने गोवा का दौरा किया था जहां समान नागरिक संहिता पहले से लागू है। अभी तक 22वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता पर 18 लाख से ज्यादा सुझाव प्राप्त हो चुके हैं। पिछले विधि आयोग ने परामर्श पत्र में परिवार कानूनों और पर्सनल ला में संशोधन के जो सुझाव दिये थे वे भी अगर देखे जाएं तो समान नागरिक संहिता यानी कानूनी अधिकारों में समानता की ही जमीन तैयार करते दिखाई देते हैं।
संहिताबद्ध हो चुका है हिन्दू पर्सनल लॉ
पर्सनल लॉ को देखा जाए तो हिन्दू पर्सनल लॉ संहिताबद्ध हो चुका है लेकिन मुस्लिम पर्सनल ला अभी तक संहिताबद्ध नहीं हुआ है मुस्लिम पर्सनल लॉ अभी कुरान के नियमों से ही संचालित होता है। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेना आदि से संबंधी कानूनों में सभी के लिए समानता यानी सभी धर्मों के लिए इस संबंध में समान कानून लागू करने की बात है। संविधान का अनुच्छेद 44 सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करता है। भाजपा के घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात शामिल है।