नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात से जुड़ी प्रेरक कहानियां अब स्कूलों में बच्चों को भी पढ़ने को मिलेगी। जो उन्हें कॉमिक्स के रूप में मुहैया होगी। फिलहाल अब तक प्रसारित हो चुके मन की बात कार्यक्रमों के आधार पर प्रेरक कहानियों से जुड़ी करीब 12 कॉमिक्स को तैयार करने की योजना बनाई गई है, जिसकी पहली पुस्तक तैयार कर ली गई है। इसे अब सभी स्कूलों तक पहुंचाने की तैयारी है।

अमर चित्र कथा के सहयोग से इसे तैयार करने की बनाई योजना

एनसीईआरटी ने इसका डिजिटल वर्जन भी जारी कर दिया है। बाकी कॉमिक्स बुक भी इस साल के अंत तक आ जांएगी। पीएम मोदी के मन की बात से जुड़ी इन प्रेरक कहानियों को स्कूली बच्चों तक पहुंचाने की योजना मन की बात के सौ संस्करण पूरे होने के मौके पर बनाई गई।

सभी स्कूलों में बच्चों को पढ़ने को मिलेगी यह कॉमिक्स

संस्कृति मंत्रालय ने अमर चित्र कथा की मदद से इन कहानियों को रुचिकर बनाने के लिए इसे कॉमिक्स के रूप में तैयार कराने की फैसला लिया। इसके साथ ही इन कॉमिक्स बुकों को अंग्रेजी और हिंदी के साथ ही सभी भारतीय भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा। वैसे भी पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है।

यह कार्यक्रम पूरी तरह से होता है गैर-राजनीतिक

हाल ही में आइआइएम रोहतक के अध्ययन में बताया गया था कि इस कार्यक्रम को 23 करोड़ लोगों ने नियमित रूप से सुना है। जबकि इसके बार में देश के 98 फीसद लोग जनाते है। यह कार्यक्रम पूरी तरह से गैर-राजनीतिक होता है।

इस बीच स्कूली बच्चों के लिए कॉमिक्स के स्वरूप में तैयार की गई पहली पुस्तक में मन की बात से जो प्रेरक और रूचिकर विषयों को शामिल किया गया है, उनमें अपने शहर को सुंदर बनाने के लिए कला प्रेमियों के एक दल ने कैसे शहर की प्रमुख दीवारों को बेहतर पेटिंग और कलाकृतियों से सजाने का काम किया था।

छोटी सी पहल से इस अभियान को मिला एक बड़ा स्वरूप

इसके साथ ही इस कॉमिक्स में बनारस के उस राजू की भी कहानी है, जिसका जिक्र पीएम ने किया था। साथ ही बताया था कि कैसे उसने विकलांग होते हुए भीख में मिले पैसों से कोरोना काल में लोगों की मदद की। उन्हें मास्क व खाने आदि की सामग्री दी। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में पुस्तकालय का विकास, शहरों में स्वच्छता के लिए लोगों के प्रयास और योग से जुड़कर कैसे स्वस्थ रहा जा सकता है, आदि शामिल है। इनमें उन लोगों को भी जिक्र किया गया है जिन्होंने छोटी सी पहल से इस अभियान को एक बड़ा स्वरूप दिया था।