नई दिल्ली, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दिल्ली से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर चल रही तल्खी थमने की बजाय तीखी होती दिख रही है। कांग्रेस और आप की सियासी जंग को देखते हुए संसद के मानसून सत्र में विपक्ष की संयुक्त रणनीति पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंकाएं गहराने लगी है।

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सीएम केजरीवाल विपक्षी दिग्गजों की दूसरी बैठक में नहीं होंगे शामिल

विपक्षी खेमे में शामिल कई दल दोनों की सियासी तनातनी के चलते अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद पर जेपीसी की मांग से लेकर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से जारी सैन्य गतिरोध जैसे मामलों को संसद में उठाने की विपक्ष की संयुक्त रणनीति पर असर पड़ने को लेकर चिंतित होने लगे हैं। अध्यादेश पर कांग्रेस के अब तक के रूख से लगभग यह भी तय हो गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शिमला में होने वाली विपक्षी दिग्गजों की दूसरी बैठक में शामिल नहीं होंगे।

अजय माकन तीखे सियासी हमले

विपक्षी एकता की पटना में हुई महाबैठक में आम आदमी पार्टी की दिखाई गई तल्खी और दबाव के बावजूद कांग्रेस अध्यादेश पर अपने रूख तय करने की जल्दबाजी में नहीं है। इसके विपरीत दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन तो रोजाना केजरीवाल पर तीखे सियासी हमले कर रहे हैं तो आम आदमी पार्टी के नेता भी कांग्रेस पर जबरदस्त पलटवार कर रहे हैं।

अध्यादेश पर बैठक से पहले नहीं होगा कोई फैसला

कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने तो इनकार किया मगर यह स्वीकार किया अध्यादेश पर शिमला में विपक्षी नेताओं की बैठक से पहले कोई फैसला नहीं होगा। कांग्रेस मानसून सत्र के दौरान पार्टी विपक्षी दलों के साथ इस पर चर्चा करेगी। जबकि अरविंद केजरीवाल ने पटना में साफ कर दिया था कि अध्यादेश के खिलाफ आप के समर्थन की कांग्रेस जब तक घोषणा नहीं करेगी तब तक उनकी पार्टी विपक्ष की बैठक में शरीक नहीं होगी।

शिमला में विपक्षी दिग्गजों की दूसरी बैठक

शिमला में विपक्षी दिग्गजों की दूसरी बैठक 12 या 13 जून को संभावित है और मानसून सत्र जुलाई के तीसरे हफ्ते में 17 जुलाई के बाद शुरू होने की संभावना है। साफ है कि शिमला बैठक से पहले कांग्रेस अध्यादेश पर अपनी रणनीति का खुलासा नहीं करेगी और आम आदमी पार्टी के बैठक में जाने का रास्ता नहीं निकलेगा।

हथियार बनाने की रणनीति बहुत तार्किक नहीं

कांग्रेस के एक सहयोगी दल के नेता ने आप के इस रूख पर कहा कि अध्यादेश को विपक्षी एकता का हथियार बनाने की रणनीति बहुत तार्किक नहीं है क्योंकि संसद सत्र की साझा रणनीति के लिए होने वाली बैठक में इसका समाधान निकालना आसान होता। मगर इसे विपक्षी एकता के एजेंडे से जोड़ने का नतीजा यह होगा कि एलएसी पर चीनी घुसपैठ ओर अदाणी विवाद की जेपीसी जांच की मांग जैसे विषयों पर चर्चा की साझा रणनीति प्रभावित हो सकती है।

बैठक में केजरीवाल के रूख से कई नेता सहमत नहीं दिखे

केंद्र की भाजपा सरकार विपक्षी खेमे के मतभेदों का फायदा उठाने का हर मौका तलाश करेगी। अध्यादेश को लेकर कांग्रेस पर दबाव बनाने की आप की रणनीति पर पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पटना बैठक में केजरीवाल के रूख से कई नेता सहमत नहीं दिखे, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व वामपंथी नेता भी शामिल थे।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार जरूर इस मुद्दे पर आप से हमदर्दी रखते हैं मगर वे भी शिमला बैठक से पहले अध्यादेश पर कांग्रेस के रूख का खुलासा नहीं करने की रणनीति को समझ जाएंगे।