जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा बलों द्वारा संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान कम से कम 35 हथियार और अन्य सामान बरामद किए गए हैं। इसकी जानकारी एक अधिकारी ने दी है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर चला अभियान
उन्होंने कहा कि राजधानी इंफाल को असम और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर अभियान के हिस्से के रूप में मणिपुर से आवश्यक सामानों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की गई है।
बता दें कि पहाड़ी और घाटी सेक्टर में गुरुवार को संयुक्त कांबिंग अभियान (joint combing operations) के दूसरे दिन विभिन्न प्रकार के 35 हथियार, गोला-बारूद और जंग में इस्तेमाल होने वाले हथियार (warlike stores) सामान बरामद किए गए हैं।
पहले भी हो चुके हैं कई हथियार बरामद
अधिकारी ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में महीने भर से चले आ रहे जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए सुरक्षा बल विश्वास बहाली के उपाय और एक जन केंद्रित दृष्टिकोण अपना रहे हैं।
बुधवार को संयुक्त तलाशी अभियान के पहले दिन, सुरक्षा बलों ने 29 हथियार बरामद किए, जिनमें ज्यादातर स्वचालित, मोर्टार, हथगोले, छोटे हथियार, गोला-बारूद और जंग में उपयोग होने वाले सामान थे।
उन्होंने कहा कि गैर-अफ्सपा क्षेत्रों (non-AFSPA areas) में तलाशी अभियान के दौरान मजिस्ट्रेट मौजूद थे।
अधिकारी ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान पर्याप्त उपाय किए जा रहे थे, जिसका उद्देश्य शारीरिक वर्चस्व के अलावा हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव को कम करना था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थानीय आबादी को असुविधा न हो।
मणिपुर हिंसा में गई थी कई लोगों की जान
मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे। वहीं, कुल 37,450 लोग वर्तमान में 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय (Meitei community's) की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' (Tribal Solidarity March') के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुईं थीं।
मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं।
बता दें कि राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।