नई दिल्ली, प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्सों) के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि करके केंद्र सरकार इसे किसानों की संरक्षक संस्था के रूप में विकसित करने की तैयारी में है। पैक्सों की संख्या ही नहीं, सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही हैं। देश में अभी एक लाख पैक्स हैं। अगले पांच वर्ष में दो लाख और बनाने हैं, जो किसानों को साहूकारों के चंगुल में फंसने से बचाएंगे।
13 करोड़ किसान पैक्सों के सदस्य
सहकारिता मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश की आधी आबादी किसी न किसी तरह से सहकारी संस्थाओं से जुड़ी हुई है। इनमें से लगभग 13 करोड़ किसान तो सीधे तौर पर पैक्सों के सदस्य हैं। पैक्सों के आधुनिकीकरण एवं अधिकारों में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार ने सहकारिता एवं गृह मंत्री अमित शाह की देखरेख में एक नई नियमावली बनाई है। इसे अभी तक 20 राज्यों ने स्वीकृति दी है। अन्य राज्यों में भी प्रक्रिया में है। उम्मीद है कि सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश इसे स्वीकार कर लेंगे।
एक लाख पैक्सों में गोदाम बनाने की तैयारी
नई नियमावली में पैक्सों को देश में कॉमन सर्विस सेंटर की तरह सुविधाएं दी जा रही हैं। जरूरत पड़ने पर किसान अपनी फसलों के बदले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इन पैक्सों से अग्रिम राशि प्राप्त कर सकते हैं। बाद में फसल तैयार होने पर पैक्सों को बेचकर शेष राशि प्राप्त कर सकते हैं। केंद्र सरकार अभी एक लाख पैक्सों में गोदाम बनाने जा रही है, जहां किसान अपनी तैयार फसलों का भंडारण कर सकते हैं और बाद में बाजार के अनुकूल होने के बाद उन्हें बेच सकते हैं।
अन्न की बर्बादी में कमी आएगी
पैक्सों के जरिए किसानों को दूसरी बड़ी सुविधा यह मिलेगी कि भंडारण के अभाव में उनकी फसलें बर्बाद नहीं होंगी। एक रिपोर्ट के अनुसार खेत से बाजार तक आते-आते 12 से 14 प्रतिशत फसलों का नुकसान हो जाता है। भंडारण की व्यवस्था नहीं रहने से किसान उन्हें खेत और खलिहान से ही बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। पैक्सों के जरिए किसानों की यह समस्या खत्म हो सकती है।
पैक्सों के माध्यम से ब्लॉक या आसपास में ही उपलब्ध होगा गोदाम
अब पैक्सों के माध्यम से उनके ब्लॉक या आसपास में ही गोदाम उपलब्ध होगा, जिसमें अन्न का पर्याप्त भंडारण किया जा सकता है और किसान फसल के अगले चक्र के लिए वित्तीय सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा हो जाने से किसानों को औने-पौने दाम में फसल बेचने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा। नई योजना के तहत पैक्स अन्न भंडारण के साथ ही कई अन्य कार्य, जैसे-फेयर प्राइस शाप एवं कस्टम हायरिंग केंद्र की तरह भी काम कर पाएंगे। पैक्सों का दायरा बढ़ाने के लिए सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रानिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड एवं कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेस इंडिया लिमिटेड की भागीदारी होगी।