नई दिल्ली: देश में शहद का उत्पादन एवं कारोबार तेजी से विस्तार ले रहा है। भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 1.33 लाख टन से ज्यादा शहद का उत्पादन करता है। इसमें से लगभग आधा निर्यात कर देता है। भारत के शहद का अमेरिका सबसे बड़ा आयातक है। शहद उत्पादन, प्रसंस्करण और कारोबार की गति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मात्र पांच वर्ष के भीतर ही शहद के निर्यात में दोगुना से भी ज्यादा वृद्धि हो गई है।
16 हजार करोड़ के पार शहद निर्यात
2018-19 में जहां प्रतिवर्ष सिर्फ 732 करोड़ रुपये के शहद का निर्यात किया जाता था, जो अब बढ़कर 16622 करोड़ रुपये हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की "मीठी क्रांति" की परिकल्पना के अनुरूप शहद के उत्पादन एवं निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों एवं किसानों के सहयोग से देश भर में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला चला रही है। इसमें कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की भी मदद ली जा रही है।
शहद की मांग में तेजी से वृद्धि
हालांकि अधिकतर हिस्से में इस कारोबार के असंगठित होने के चलते इसका सही आंकड़ा अभी सामने आना बाकी है, क्योंकि कई किसान खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) या राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) से अभी भी पंजीकृत नहीं हैं। पहले शहद को सिर्फ औषधीय वस्तु की तरह इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब यह हमारे भोजन का अंग बन चुका है। कोरोना के बाद शहद को इम्यूनिटी बढ़ाने का माध्यम और चीनी के विकल्प के रूप में देखा जाने लगा है। इससे इसकी खपत और मांग में तेजी से वृद्धि होने लगी है। इसे देखते हुए एपीडा का लक्ष्य नए देशों में बाजार का विस्तार कर निर्यात को प्रोत्साहित करने में लगा है।
सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका
भारत शहद का शीर्ष निर्यातकों में है। पहली बार 1996-97 में शहद का निर्यात शुरू हुआ था। उत्तम गुणवत्ता के आधार पर भारत में उत्पादित शहद की मांग कई देशों में है। सबसे बड़ा आयातक अमेरिका, सऊदी अरब और बांग्लादेश है। कनाडा एवं कतर में भी बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है। वर्ष 2022-2023 में भारत से लगभग 80 हजार टन शहद का निर्यात किया गया, जिसका मूल्य 1,622.17 करोड़ रुपये है। इसमें अकेले अमेरिका ने 59,262 टन शहद खरीदा।