नई दिल्ली,आखिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री का फैसला गुरुवार को हो ही गया। सिद्धारमैया कर्नाटक की कमान संभालेंगे जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार उनके इकलौते डिप्टी होंगे। दोनों नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर कड़ा मुकाबला रहा। एक तरफ जहां सिद्धारमैया सीएम के प्रबल दावेदार थे वहीं कर्नाटक में पार्टी की धमाकेदार जीत के अगुआ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार ही रहे। दोनों नेता आखिर तक सीएम पद के लिए अड़े रहे लेकिन कांग्रेस हाईकमान अंतत: सहमति बनाने में सफल रहा। आइए जानते हैं सिद्धारमैया की सीएम बनने की क्या रही खास वजह और कैसे शिवकुमार भी अपनी अहमियत दिखाने में कामयाब रहे।

सिद्धारमैया की कामयाबी के बड़े कारण

शिवकुमार आय से अधिक संपत्ति मामले में इनकम टैक्स और ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस आशंकित थी कि भाजपा इस मुद्दे को आगामी लोकसभा चुनाव में जोर शोर से उठाएगी और सीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं, इसलिए सिद्धारमैया सीएम के लिए उसकी पहली पसंद रहे।

- सिद्धारमैया कर्नाटक में नवनिर्वाचित विधायकों में सबसे उम्रदराज नेता हैं। उन्हें पार्टी के ज्यादातर विधायकों का समर्थन मिला। सिद्धारमैया का अनुभव और मझे हुए प्रशासक की छवि भी उनके पक्ष में रही।

- शिवकुमार ओबीसी वोक्कालिगा जाति से हैं। कांग्रेस ने 42 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ राज्य में जीत हासिल की और उसे सभी वर्गों का समर्थन मिला। ऐसे में कांग्रेस ने गैर वोक्कालिगा समुदाय की भावनाओं का भी ध्यान रखा।

वैसे शिवकुमार भी घाटे में नहीं

सिद्धारमैया हाईकमान की पहली पसंद थे लेकिन यह शिवकुमार का अपनी मांग पर अड़े रहने का ही नतीजा था कि वह डिप्टी सीएम बनने के साथ-साथ राज्य अध्यक्ष पद पर भी बने रहेंगे। इससे कैबिनेट के साथ ही उन्हें पार्टी पर मजबूत पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।

- शिवकुमार के करीबी लोगों को भी मंत्री पद मिलेंगे। कांग्रेस हाई कमान कतई नहीं चाहता कि कैबिनेट में किसी तरह का असंतुलन हो।

- सिद्धारमैया ने पिछले कार्यकाल के दौरान शिवकुमार को कैबिनेट में शामिल करने से भी मना कर दिया था। लेकिन इस बार शिवकुमार ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई।