साल 1984 में हुई एक ऐसी वारदात जिसकी गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन मास्टरमाइंड अभी भी फरार है। एक ऐसा शख्स जिसे पुलिस देश के चप्पे-चप्पे में ढूंढ रही है, लेकिन ये शख्स पुलिस की गिरफ्त से अभी भी बाहर है। इस शख्स का नाम है सुकुमार कुरूप। जिसकी गिनती केरल के में मोस्ट वांटेड अपराधियों में होती है।

21 जनवरी की वो रात... जब वारदात को दिया गया अंजाम

काफी रात हो चुकी थी। एक चको नाम का व्यक्ति फिल्म रिप्रेज़ेंटेटिव थिएटर से घर जाने के लिए बाहर निकलता है। इसी बीच उसे एक ब्लैक एम्बेसडर रास्ते में मिलती है। चको नाम का ये व्यक्ति लिफ्ट लेकर इस कार में बैठ जाता है। कार में पहले से ही चार लोग सवार थे।इस कार में सुकुमार, भास्कर, उसका खास ड्राइवर पोनप्पन और उसका दोस्त साहू पहले से बैठे हुए थे। कार मैं बैठने के बाद इन चारों ने शराब पीने के लिए उसकी ओर ग्लास बढ़ाया। ग्लास में ये लोग पहले ही ईथर मिला चुके थे।

इसे पीने के बाद ये व्यक्ति बेहोश हो जाता है और फिर ये चार अपराधी वारदात को अंजाम देते हैं। भास्कर और साहू तौलिए से इस शख्स का गला दबा देते हैं। फिर उसे सुकुमार के कपड़े पहना दिए जाते हैं। फिर मावेलीकारा के एक खेत में पहुंचकर अपराधी इस शख्स को ड्राइविंग सीट पर बिठाकर इसका चेहरा बुरी तरह खराब कर देते हैं ताकि कोई पहचान न पाए। इसके बाद पेट्रोल डालकर गाड़ी को आग लगा देते हैं।

पोस्टमार्टम के बाद पुलिस को हुआ संदेह

फिर पुलिस स्‍टेशन में खबर मिली कि KLQ-7831 नंबर प्‍लेट वाली ऐम्‍बेसेडर कार में आग लग गई है। हादसे में ड्राइविंग सीट पर बैठा शख्‍स जिंदा जल चुका है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पाया कि मृतक का चेहरा पूरी तरह से झुलस चुका था, जिससे पहचान कर पाना मुश्किल था। जब पोस्टमार्टम करवाया गया तो पाया गया कि मृतक की सांस की नली में धुआं नहीं था।

साथ ही मृतक के पेट में शराब और ईथर पाया गया था। इसके बाद पुलिस को इस बात का यकीन हो गया कि ये हादसा नहीं बल्कि हत्या है। हालांकि, पुलिस की तरफ से शव को परिजनों को सौंप दिया जाता है।

पुलिस शव को परिजनों को तो सौंप देती है लेकिन मृतक के परिजनों का रोना और हाव-भाव थोड़े अजीब लगते हैं। 3 दिन बाद जब पुलिस मृतक के घर पहुंचती है तो पुलिसकर्मी हक्के-बक्के रह जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां उत्सव का माहौल था, मीट बन रहा था।

दरअसल उस समय मीट सिर्फ खास मौकों पर ही बनाया जाता था। मृतक के घर पहुंचकर पुलिस को संदेह हुआ कि जरूर दाल में कुछ काला है।

अब इधर चको परिवार वाले उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं। पुलिस को तो पहले ही संदेह था, पुलिस भी मामले में जाच करते हुए लाश की शिनाख्त के लिए चको के परिवार को बुला लेती है। इस दौरान मृतक चको की बीवी उसे पहचान लेती है। इसके बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करते हुए साहू से पूछताछ करती है क्योंकि पहले पुलिस ने उसका हाथ झुलसा हुआ पाया था।

अब धीरे-धीरे इस मामले के सभी पेंच खुलते जाते हैं। फिर कुरूप को छोड़कर कार में बैठे सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। हालांकि, कुरूप पुलिस की पहुंच कही दूर निकल चुका था। इतनी दूर की 39 साल बाद भी अब तक तलाश जारी है।

क्यों रचा अपनी ही मौत का झूठा नाटक?

इस पूरी वारदात के पीछे की वजह जब सामने आई तो हैरान कर देने वाली थी। सुकुमार कुरूप ने अपनी ही मौत का नाटक महज आठ लाख की बीमा राशि लेने के लिए किया था। जिस समय ये हत्या की गई कुरूप 38 साल का था। 30 साल पहले मवेलिकार न्यायिक मजिस्ट्रेट की तरफ से अरेस्ट वॉरेंट जारी किया गया था। हालांकि, तब से लेकर अब तक कुरूप पुलिस को चकमा ही देता आ रहा है।

'करुप' फिल्म को रोकने के लिए हुआ था विरोध

श्रीनाथ राजेंद्रन के निर्देशन में बनी मलयालम फिल्म साल 2021 के नवंबर में रिलीज की गई। ये फिल्म मॉस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल सुकुमार कुरूप पर बनाई गई है। इसकी वजह से फिल्म को विरोध का भी सामना करना पड़ा। फिल्म कुरुप के रिलीज को रोकने के लिए केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि कहानी एक घोषित अपराधी के जीवन से प्रेरित होती है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह उसके जीवन की पूरी कहानी बता रहा है और उसकी निजता के अधिकार का हनन कर रहा है।