नई दिल्ली, जोड़तोड़ की राजनीति का पहले भी नाटक देख चुके कर्नाटक में चुनाव प्रचार अभियान शुरू होने से लेकर सोमवार को प्रचार थमने तक माहौल बहुत कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है। नि:संदेह कांग्रेस ने सधी चुनावी पारी शुरू की। प्रधानमंत्री पर सीधे हमले से बचने की रणनीति बनाई और ध्रुवीकरण की स्थिति भी न आने देने का प्रयास किया, लेकिन कांग्रेस आखिरकार भाजपा की उसी भावनात्मक पिच पर आ खड़ी हुई, जिसे भाजपा अपने लिए मुफीद मानती है और बेहतर प्रदर्शन करती भी रही है।
पार्टी के चुनाव अभियानों में कई बार 'परफेक्ट फिनिशर' की भूमिका निभा चुके पीएम मोदी ने यहां भी 16 जनसभाओं और 6 रोड शो कर मोर्चा संभाला तो कांग्रेस के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
10 मई को होना है चुनाव
कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों के लिए 10 मई को मतदान होना है। सोमवार को प्रचार अभियान थमने के बाद राजनीतिक दल महीनों तक चले अभियान को अपने-अपने ²ष्टिकोण से आंक-परख रहे हैं। कई संवेदनशील मुद्दों पर आ टिके इस चुनाव में भाजपा के सामने साढ़े तीन दशकों से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के ट्रेंड को तोड़कर दक्षिण भारत में अपने इकलौते दुर्ग को बचाने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए प्रयासरत इस बार अपने लिए बेहतर मौका देख रही है। इसी तरह जनत दल एस त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में ¨कगमेकर बनने के लिए जोर लगा रही है।
कांग्रेस ने खुद ही दे दिया बीजेपी को मौका
बहरहाल, शुरुआत में भाजपा में जिस तरह से भगदड़ हुई। खास तौर पर जगदीश शेट्टार जैसे दिग्गज नेता ने कांग्रेस का दामन थामा, इससे कांग्रेस के रणनीतिकारों की आंखें चमक उठीं, लेकिन पक्ष में बनते इस माहौल को कांग्रेस उस तरह नहीं संभाल पाई, जैसे कि शुरुआत में नजर आ रही थी। कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगाया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को 'जहरीला सांप' कहकर सबसे पहले भाजपा को पलटवार का मजबूत मौका दिया। खरगे के बेटे ने भी पीएम को नालायक कह दिया।