शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में तीखी टिप्पणियों के बाद सोमवार को महा विकास अघाड़ी में एक बार फि‍र नया बखेड़ा शुरू हो गया है। एनसीपी के कुछ नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा क‍ि क्या अखबार के संपादक चाहते हैं कि एनसीपी एमवीए से बाहर निकल जाए। हालांकि, एनसीपी चीफ शरद पवार ने पार्टी में नाराजगी को कम किया और आश्वासन दिया कि एमवीए में सब ठीक है। उधर, कांग्रेस ने रविवार को एक जनसभा में उद्धव ठाकरे पर महाड से उनके नेता की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया।

'नेता पर्यटक हैं, हमने शिवसेना में भी देखा है'

'सामना' में दोहराया गया क‍ि एनसीपी के कुछ नेताओं ने अपना बोरिया-बिस्तर बांध लिया था, लेकिन पवार के कदम ने भाजपा की योजना पर पानी फेर दिया। सामना में कहा गया क‍ि पार्टी कार्यकर्ताओं के दबाव ने पवार को अध्‍यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मजबूर कर द‍िया। लेख में कहा, "तो, नेता एक पार्टी नहीं हैं, बल्‍क‍ि पार्टी के कार्यकर्ता हैं। नेता पर्यटक हैं। हमने शिवसेना में भी देखा है। चुनाव आयोग ने पार्टी को उस समूह को सौंप दिया, जिसके साथ विधायक और सांसद गए, लेकिन उनके टेंट अभी भी खाली है।"

'एनसीपी को भी ऐसा ही अनुभव था'

लेख में कहा गया क‍ि एनसीपी को भी ऐसा ही अनुभव था। पवार ने नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए एक बहुत बड़ी समिति नियुक्त की। उस समिति में कई भाजपा के संपर्क में थे, लेकिन कार्यकर्ताओं का दबाव इतना सटीक था कि समिति को पवार को बताना पड़ा कि उनके अलावा कोई अध्‍यक्ष पद पर नहीं हो सकता, ज‍िसके बाद पूरा ड्रामा समाप्त हो गया।"

'कुछ नेता अभी भी भाजपा के संपर्क में'

लेख में कहा गया है कि पवार के कार्यकाल बढ़ाए जाने के बावजूद कुछ नेताओं ने अभी तक 'भाजपा के ठहरने और खाने' के लिए अपनी बुकिंग कैंस‍िल नहीं की है।" हालांकि, जो भी बाहर जाएगा उसे जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। लोग अपना करियर खत्म कर देंगे। शिवसेना के भगोड़ों की स्थिति कूड़े के ढेर में रहने वाले एक आवारा कुत्ते के जैसी है।" लेख में सुझाव दिया क‍ि यह नेताओं के लिए समय है, जो अब केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों से डरे हुए हैं, यह तय करने के लिए कि वे बाघ की तरह एक दिन जीना चाहते हैं या भेड़ की तरह 100 दिन।" कहा गया क‍ि पार्टी उन नेताओं की वजह से नहीं चलती है, जो अपने बैग पैक करते हैं। पार्टियों के ऐसे सभी कायर जनरलों को अपनी पार्टी बनानी चाहिए, ताकि लोग असली फाइटर्स को जान सकें।"

क्‍या राउत चाहते हैं एनसीपी एमवीए छोड़ दे: भुजबल

एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने आश्चर्य जताया कि क्या संपादकीय लिखने वाले एमपी-संपादक संजय राउत चाहते हैं कि एनसीपी एमवीए छोड़ दे। उन्‍होंने कहा, ''वह इस तरह की चीजों को क्यों खोद रहे हैं। उन्हें क्या समस्या है? क्या वह चाहते हैं कि एनसीपी एमवीए से बाहर निकल जाए या भागीदारों के बीच मतभेद पैदा करे?" 'पैक्ड बैग' टिप्पणी पर प्रत‍िक्र‍िया देते हुए भुजबल ने कहा कि उन्होंने लोगों को राउत की निगरानी में नहीं देखा, लेकिन साथ ही कहा, "हमारी मौजूदा स्थिति नहीं होती अगर वह (राउत) एकनाथ शिंदे समूह पर इस तरह की नजर रखते।"