यूं तो शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) महाविकास आघाड़ी का हिस्सा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार पर लगातार निशाना साध रही है। अब मुखपत्र 'सामना' में लिखे अपने लेख में पार्टी सांसद संजय राउत ने पवार पर अपना उत्तराधिकारी तैयार न कर पाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, राउत ने पवार के इस्तीफे वाले दांव को मास्टरस्ट्रोक करार दिया और कहा कि इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गेमप्लान खराब हो गया।
''शरद पवार का मतलब ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है''
संजय राउत ने सामना में लिखे अपने लेख में कहा, ''राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने की शरद पवार द्वारा घोषणा करते ही खलबली मचना स्वाभाविक था। यह हलचल देश की राजनीति में मच गई, उससे ज्यादा उनकी पार्टी में मची, क्योंकि शरद पवार का मतलब ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है। पवार राजनीति में एक पौराणिक वटवृक्ष की तरह हैं। उन्होंने मूल कांग्रेस पार्टी से अलग होकर `राष्ट्रवादी’ नामक एक स्वतंत्र पार्टी बनाई, चलाई और उसे स्थापित किया, लेकिन शरद पवार के बाद पार्टी को आगे ले जाने वाला नेतृत्व पार्टी में तैयार नहीं हो पाया।''
''उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रहे पवार''
राउत ने आगे कहा, ''पवार निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े नेता हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनके शब्दों का सम्मान किया जाता है, लेकिन वे एक उत्तराधिकारी बनाने में विफल रहे, जो पार्टी को आगे ले जा सके। इसलिए चार दिनों पहले जैसे ही उन्होंने सेवानिवृत्ति की घोषणा की, पार्टी जड़ से हिल गई और हर कोई अब हमारा क्या होगा? इस चिंता से कांप गए। कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने मनाया और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। इसके आगे भी वही राकांपा की कमान संभालेंगे। इससे पिछले चार-पांच दिनों से चल रहे ड्रामे पर पर्दा गिर गया है।
''भाजपा एक पेटदर्द वाली पार्टी है''
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने अपने लेख में भाजपा पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ''पवार ने इस्तीफे का जो ड्रामा किया वह `नौटंकी’ थी, ऐसी आलोचना भाजपा ने की। भारतीय जनता पार्टी एक पेटदर्द वाली पार्टी है। वह कभी नहीं चाहती कि दूसरे का अच्छा हो या बेहतर हो। यह पार्टी दूसरों की पार्टियां या घरों को तोड़कर खड़ी हुई है। दूसरा यह कि दूसरों पर `नौटंकी’ का आरोप लगाने से पहले उन्हें दुनिया के सबसे बड़े नौटंकीबाज के तौर पर ख्याति प्राप्त अपने प्रधानमंत्री मोदी को देखना चाहिए।''
''शरद पवार के खेल से भाजपा का बढ़ा पेटदर्द''
राउत ने कहा, ''जो लोग देश की राजनीति की `नौटंकी’ करते हैं, उन्हें दूसरे लोगों के मामले नौटंकी ही लगेंगे। भाजपा का पेटदर्द ऐसा है कि शिवसेना की तरह ही राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़ने का उनका `प्लान’ था। लोग बैग भरकर तैयार थे और कहा जा रहा था कि आनेवालों के लिए `लॉजिंग-बोर्डिंग’ की व्यवस्था पूरी हो गई है। हालांकि, शरद पवार के खेल से भाजपा का `प्लान’ कचरे की कुंडी में चला गया और पेटदर्द बढ़ता गया। पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को भाजपा के तंबू में ले जाएं और अपने सहयोगियों को ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के छल से छुटकारा दिलाएं, ऐसा एक गुट का आग्रह था, लेकिन पवार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
''पवार के पास वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था''
सामना में लिखे अपने लेख में राउत कहते है पवार की वापसी से उनकी पार्टी में चेतना आ गई और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने भी राहत की सांस ली। यह सच है कि पवार के पास वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन इस बहाने हमारी पार्टी असल में कहां है और अपने इर्द-गिर्द रहनेवालों के दिल कहां घूम रहे हैं, इसका अंदाजा पवार ने लगा लिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस छोड़कर जिन्हें जाना है वे जाएं, उन्हें नहीं रोकूंगा, ऐसा पवार ने कहा। यानी लोग जाने वाले थे या फिलहाल रुके हुए हैं।
''भाजपा के बहकावे में जाना यानी खुद के पैर में कुल्हाड़ी मारना''
राउत ने कहा, ''भाजपा के लॉजिंग-बोर्डिंग में बुकिंग अभी भी रद्द नहीं हुई है, यह स्पष्ट है। जो जाएंगे उनका राजनीतिक करियर लोग ही खत्म कर देंगे, चाहे वह कितना भी बड़ा सरदार हो। शिवसेना छोड़कर जो गए उनकी हालत कूड़ेदान के आवारा कुत्तों से भी बदतर हो गई है। इसलिए भाजपा के बहकावे में जाना यानी खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने का निमंत्रण है। भारतीय जनता पार्टी के घर में दरवाजा तो क्या साधारण पर्दा भी नहीं है। कोई भी अंदर घुस रहा है। नैतिकता और सदाचार नहीं बचे हैं।''